कमजोर रणनीति से हारी भाजपा, पटेल के वार्ड में जायसवाल बने अध्यक्ष

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कोरबा-कटघोरा 16 फरवरी। कोरबा जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन निकाय चुनाव में बेहद लचर रहा लेकिन उसने नगर पालिका कटघोरा में अपना कब्जा बरकरार रखने में सफलता हासिल कर ही ली। 5 वर्ष पहले हुए चुनाव में रतन मित्तल को जीत मिली थी और अब उनके उत्तराधिकारी के रूप में राज्य जायसवाल यहां पर अध्यक्ष बन गए हैं जिन्होंने 554 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। कांग्रेस का मुकाबला भाजपा के साथ-साथ अपनी ही पार्टी के बागी से हुआ। वर्ष 2019 तक के लिए नगर पालिका कटघोरा की जिम्मेदारी राज जायसवाल को जनता ने दी है जिसने 11 फरवरी को नगरी निकाय चुनाव के लिए मतदान किया था।

जयसवाल की जीत के पीछे कई प्रकार के कारण बताए जा रहे हैं जिनमें पर्याप्त संसाधन और उनकी उपयोगिता, जनता से अच्छा संपर्क एवं चुनाव के लायक रणनीति बनाते हुए उसे पर अमल करने को सबसे मुख्य बताया गया है। नगर पालिका सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले राज् जायसवाल अब अध्यक्ष बन चुके हैं। नगर पालिका क्षेत्र के चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के आत्मा नारायण पटेल से हुआ जो पहले उपाध्यक्ष रह चुके हैं। जबकि कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कोमल जैसवाल भी बागी के रूप में मैदान में बने हुए थे और उन्होंने 3500 वोट खींचने में सफलता हासिल करने के साथ एक प्रकार से समीकरणों को बदल दिया। चुनाव की मतगणना के बाद जो तस्वीर सामने आई है उसने बहुत कुछ स्पष्ट किया है। नगर पालिका परिषद के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 12 जुराली में भाजपा प्रत्याशी पटेल निवास थे और यह उनका प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। इसके बावजूद इस इलाके से भाजपा प्रत्याशी को अध्यक्ष के चुनाव में पर्याप्त महत्व नहीं मिल सका और दूसरी तरफ इसी क्षेत्र से कांग्रेस के बागी प्रत्याशी कोमल जायसवाल ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रहे। सूचनाओं के अनुसार चुनाव में मतदाताओं को हर स्तर पर अपने पक्ष में करने की रणनीति से लेकर संतुष्ट करने के मामले में नवनिर्वाचित अध्यक्ष राज जायसवाल सबसे आगे रहे और दूसरे नंबर पर कोमल रहे हैं। इस दृष्टिकोण से ऐसा कहां जा रहा है कि भाजपा ने नगर पालिका के चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर बड़ी गलती कर दी।

सूत्रों के अनुसार कटघोरा नगर पालिका क्षेत्र में नगरी निकाय चुनाव में भले ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार किया गया और स्थानीय मसलों पर भी बात की गई। लेकिन कई चीज ऐसी थी जिन पर भाजपा के रणनीतिकारों ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। बताया जा रहा है कि नीतिगत कारणों से राइस मिलर्स काफी समय से नाराज चल रहे थे और उन्होंने इस बारे में हर स्तर पर जानकारी दे दी थी लेकिन समाधान नहीं हो सका। इसके अलावा सामान्य वर्ग के वोटर की शिकायत को भी दरकिनार रखा गया। सूत्रों का कहना है कि समय पर ऐसे समीकरण की जानकारी विधायक से लेकर अन्य संबंधित को हो थी लेकिन जब तक वे प्रयास करते, देर हो चुकी थी।

नगर निगम का चुनाव हर बार की तरह इस बार भी स्लम इलाकों के लिए वरदान साबित हो गया। चुनाव के बहाने एक दिन के भाग्य विधाता ने जेब गर्म कर ली। नियम कानून को किनारे रख हर तरफ पर्याप्त धन राशि से लेकर कई प्रकार के समान का वितरण बड़ी आसानी से हुआ।एमपी नगर, शारदा विहार, बालको नगर व जमनीपाली इलाके में दलालों की चांदी रही। जानकारी मिली है कि इन इलाकों में कुछ दलालों ने प्रत्याशियों को भ्रमित कर वोटर को बांटने के लिए मोती रकम ले ली और उसे दबा लिया। सूची की मार्किंग करने और लोगों के द्वारा रुपए नहीं मिलने की जानकारी सामने आई तो मालूम चला कि खेल कैसे हुआ।

वही नगर निगम कोरबा के अंतर्गत चुनाव के परिणाम के बाद अब कई प्रकार की चर्चाएं सुनने को आ रही हैं। यहां एक वार्ड ऐसा भी रहा। जिसके कांग्रेस प्रत्याशी और एक कार्यकर्ता नामांकन के बाद से मतदान तक लगातार लोगों के बीच इसी बात को कहते रहे कि हमारी जीत का श्रेय कोई नहीं लेगा। परंतु रिजल्ट घोषित होने के बाद दोनों ही अपनी अप्रत्याशित हार को लेकर हैरान, अचम्भित और मौन है, की आखिर यह क्या हुआ। बताया जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने काफी जल्दबाजी में चुनाव लडने की मानसिकता बनाया मतदाताओं को साधने के लिए 20 लाख रुपए खर्च किए। निगम क्षेत्र में ही नहरपारा इलाके का धनबल को लेकर सुर्खियों में रहा जहां पर प्रमुख राजनीतिक दल के प्रत्याशी के द्वारा 15 लाख से ज्यादा रुपए केवल बांटने में खर्च कर दिए गए लेकिन परिणाम प्रतिकूल रहा।

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