कही-सुनी (02 FEB-25) : रवि भोई

नगरीय निकाय चुनाव में फील गुड में भाजपा

नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा के कई पार्षद प्रत्याशी निर्विरोध जीतकर आ गए हैं। बसना नगर पंचायत अध्यक्ष का पद भी बिना मतदान के भाजपा के खाते में आ गया। यहां कांग्रेस प्रत्याशी ने वाक ओवर दे दिया। धमतरी नगर निगम में कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में उतरने से पहले ही बाजी हार गया। इस कारण माना जा रहा है कि धमतरी नगर निगम में भाजपा का कब्जा हो जाएगा। नगर निगम के साथ पंचायत चुनाव में भी भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। वैसे राज्य में जिस पार्टी की सत्ता होती है, नगरीय निकायों और जिला पंचायतों में उसी का पलड़ा भारी दिखता है। भाजपा इस वक्त सत्ता में है तो शहर सरकार और गांव की सरकार पर उसका कब्जा स्वाभाविक है। कहते हैं “जिसकी लाठी,उसकी भैंस।” पांच साल पहले जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तब उसने कई नगर निगमों में बहुमत न होते हुए भी अपनी पार्टी का महापौर बना लिया था। इस बार तो महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव हो रहा है। भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है , उसके सामने कांग्रेस बौनी दिख रही है। नगर निगम चुनाव में नाम वापसी के बाद जो स्थिति बनी है, उससे तो लोगों को नजारा समझ आ गया है। जैसे हांडी का एक चावल देखकर उसके पकने का अंदाजा लगा लिया जाता है, वैसे ही भाजपा की हांडी का एक चावल लोगों ने देख लिया है। नगर निगम के लिए राज्य में 11 फ़रवरी को वोट डाले जाएंगे और 15 फरवरी को नतीजा आ जाएगा।

जुनेजा के एक्टेंशन की संभावना कम ?

लोगों को इस बार डीजीपी अशोक जुनेजा के एक्टेंशन की संभावना कम नजर आ रही है। अशोक जुनेजा का कार्यकाल चार फ़रवरी को समाप्त होने वाला है। पूर्णकालिक डीजीपी के लिए राज्य सरकार ने अब तक संशोधित प्रस्ताव नहीं भेजा है,ऐसे में राज्य में प्रभारी डीजीपी की बात चलने लगी है। प्रदेश में अभी अशोक जुनेजा के अलावा डीजी स्तर के अधिकारी अरुणदेव गौतम, पवनदेव और हिमांशु गुप्ता हैं। अरुणदेव गौतम और पवन देव 1992 बैच के आईपीएस हैं। हिमांशु गुप्ता 1994 बैच के आईपीएस हैं। चर्चा है कि वरिष्ठता के आधार पर 1992 बैच के आईपीएस अरुणदेव गौतम या पवनदेव में से कोई एक प्रभारी डीजीपी बन सकते हैं। कहते हैं कि अशोक जुनेजा के लंबा कार्यकाल पुलिस अफसरों को चुभने लगा है। श्री जुनेजा 2021 से डीजीपी के पद पर तैनात हैं। बताते हैं कि भाजपा की एक लॉबी भी अशोक जुनेजा के कार्यकाल से खुश नहीं है। दिल्ली का भारी दबाव आएगा, तभी अशोक जुनेजा आगे सेवावृद्धि पा सकेंगे।

कौन होगा धमतरी कलेक्टर ?

2013 बैच की आईएएस नम्रता गांधी के केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति के आदेश के बाद धमतरी के नए कलेक्टर को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है। नम्रता गांधी अभी धमतरी की कलेक्टर हैं। उन्हें भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में उप सचिव बनाया गया है। भारत सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया है। आदेश के मुताबिक़ नम्रता गांधी को इस आदेश के बाद तीन हफ्ते के भीतर नया कार्यभार ग्रहण करना होगा। अभी राज्य में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव चल रहे हैं। इसमें कलेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। माना जा रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव निपटने के बाद उन्हें कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। धमतरी राजधानी से नजदीक और अच्छा जिला है, इस कारण यहां के कलेक्टर को लेकर लोगों में चर्चा चल पड़ी है।

बाजी मार ली भतपहरी ने

विष्णुदेव साय की सरकार ने विजयकुमार भतपहरी को लोक निर्माण विभाग का प्रमुख अभियंता (ईएनसी ) बना दिया है। श्री भतपहरी पीडब्ल्यूडी में सबसे वरिष्ठ अभियंता हैं। वरिष्ठता का उन्हें लाभ मिला। भूपेश बघेल की सरकार में भी भतपहरी ईएनसी रह चुके हैं। कांग्रेस की सरकार ने सड़कों की गुणवत्ता ठीक न होने के आधार पर भतपहरी को ईएनसी के पद से हटा दिया था और उनकी जगह के के पिपरी को ईएनसी बना दिया था। पिपरी को साय सरकार ने रिटायरमेंट तक चलाया। अब पिपरी के रिटायरमेंट के बाद फिर भतपहरी को मौका मिल गया। बताते हैं भतपहरी का रिटायरमेंट करीब सात साल बचा है। पिपरी के रिटायरमेंट के बाद कोई प्रमोशन होता है तो भतपहरी के सामने चुनौती होगी, अन्यथा चलते रहेगा।

सीआर प्रसन्ना राज्यपाल की पसंद

बताते हैं डॉ सीआर प्रसन्ना, राज्यपाल रमेन डेका की पसंद पर ही उनके सचिव बनाए गए हैं। कहा जाता है राज्यपाल के सचिव के लिए सरकार ने सचिव स्तर के अधिकारी एस. प्रकाश, डॉ सीआर प्रसन्ना, राजेश सिंह राणा और केडी कुंजाम का नाम रमेन डेका को भेजा था। राज्यपाल के सचिव रहे यशवंत कुमार मंत्रालय लौटना चाहते थे, इस कारण वहां नई पोस्टिंग करनी पड़ी। यशवंत कुमार सचिव ग्रामोद्योग, प्रबंध संचालक हथकरघा और खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड के साथ राज्यपाल के सचिव का काम देख रहे थे। सरकार ने उन्हें सचिव ग्रामोद्योग, प्रबंध संचालक हथकरघा और खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड के साथ संसदीय कार्य विभाग का भी काम दे दिया है। विधानसभा के बजट सत्र को देखते हुए संसदीय कार्य विभाग महत्वपूर्ण है।

प्रशासन में बड़ा फेरबदल अब बजट सत्र के बाद

कहा जा रहा है कि मंत्रालय और फील्ड स्तर पर प्रशासन में बड़ा फेरबदल विधानसभा के बजट सत्र के बाद ही होगा। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 24 फरवरी से 21 मार्च तक चलेगा।कहा जा रहा है कि मंत्रालय में अभी कई अधिकारियों के पास कई विभाग हैं तो कुछ के पास इक्के -दुक्के ही। फेरबदल में संतुलन की कोशिश होगी। इसके अलावा फील्ड में पदस्थ कई अफसरों का कार्यकाल एक साल से ज्यादा हो जाएगा। फील्ड में पदस्थ कुछ अफसरों को हटाकर नए लोगों को मौका दिया जाएगा। इसके अलावा तब तक नए मुख्य सचिव को लेकर भी परिदृश्य साफ़ होता दिखेगा।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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