फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर, बजट समय पर नहीं हो रहा आवंटित

कोरबा 12 जनवरी। हाथियों का उत्पात रोकने के लिए सरकार की ओर से घोषित लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। समय के साथ इस फंड से अलग-अलग वनमंडल को मिलने वाला बजट पर समय पर आवंटित नहीं हो रहा है। इससे हाथियों के लिए जंगल में चारा-पानी की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है।

जिले में हाथियों की संख्या बढ़ रही है। जंगल में इनके लिए चारा-पानी जरूरत के अनुसार नहीं है। इसलिए हाथी रिहायशी इलाकों का रूख कर रहे हैं और इससे मानव और हाथियों के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है। संघर्ष में कई बार हाथी मारे जाते हैं तो कई बार मानव की जान पर हाथी भारी पड़ते हैं। इस बीच दो वर्षों में हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर के तहत सरकार से लगभग 98 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, मगर इसमें से करीब 20 करोड़ रुपए ही खर्च हो सके हैं। सबसे अधिक प्रभावित कोरबा जिले के दोनों ही वनमंडलों में अब तक लगभग सात करोड़ ही खर्च किये जा सके हैं। कैपा निधि से लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर में रहवास क्षेत्र विकास कार्य, मानव-हाथी द्वंद प्रबंधन, भूजल संसाधन प्रबंधन और अधोसंरचना के तहत रेंजवार जंगलों में काम कराना है। हाथियों का उत्पात किसी भी जिले में कम नहीं हो रहा है, हाथी जिस क्षेत्र में है वहां उत्पात मचा रहे हैं।

दरअसल कॉरिडोर की प्लांनिग के तहत वन मंडल कार्य नहीं करा पा रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ही यही है कि फंड देरी से और कम स्वीकृत किया जा रहा है। कोरबा, रायगढ़, सरगुजा जिले के कुल 11 रेंज को इस दायरे में शामिल किया गया है। अब तक लगभग 20 करोड़ ही खर्च किया गया है। कॉरिडोर में कोरबा जिले के दोनों वनमंडलों को पहले साल 4.75 करोड़ का बजट मिला, जबकि दूसरे साल सिर्फ 57 लाख का ही बजट जारी किया गया है। सीधे तौर पर पिछले साल की तुलना में सिर्फ 10 फीसदी ही राशि इस वर्ष दी गई है। बजट में कटौती की वजह से हाथियों व ग्रामीणों को राहत नहीं मिल पा रही है।

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