ठगी: हाईकोर्ट ने, के के श्रीवास्तव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की

बिलासपुर 8 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ठगी के मामले में फरार चल रहे के के श्रीवास्तव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई।

श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने खुद को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी बताकर एक ठेकेदार से 500 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने के नाम पर 15 करोड़ रुपये ठग लिए। मामले की सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने इसे गंभीर मामला मानते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया। अग्रिम जमानत अर्जी में दलील दी गई थी कि यह धोखाधड़ी का नहीं बल्कि आपसी लेन-देन का मामला है।

ठगी का मामला और फरारी

केके श्रीवास्तव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ठेका दिलाने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी की। इस मामले में रायपुर के तेलीबांधा थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने श्रीवास्तव और उनकी पत्नी कंचन श्रीवास्तव को फरार घोषित कर रखा है। साथ ही दो दिन पहले रायपुर पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

फर्जी बैंक खाते और जांच

जांच में यह बात सामने आई है कि श्रीवास्तव ने पांच फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर 300 करोड़ रुपये का लेन-देन किया। ये खाते आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के नाम पर खोले गए थे। इस मामले की जांच अब आयकर विभाग कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जल्द ही इस प्रकरण की जांच शुरू कर सकती है।

राजनीतिक संबंध और ठगी का पैटर्न

के के श्रीवास्तव पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते थे, जिसके चलते उनके सरकारी अधिकारियों से भी गहरे संबंध बन गए थे। उनके अनुरागी आश्रम तथा निवास पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल का दर्जनों बार प्रवास हुआ। उन्होंने इसी प्रभाव का इस्तेमाल कर दिल्ली के कारोबारी अर्जुन रावत से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का ठेका दिलाने के नाम पर 15 करोड़ रुपये ठग लिए थे। बाद में जब ठेका नहीं मिला, तो श्रीवास्तव ने 3 करोड़ 40 लाख रुपये वापस किए, लेकिन तीन अन्य चेक बाउंस हो गए।

ठिकानों पर चल रही छापेमारी

पुलिस की कई टीमें श्रीवास्तव की तलाश में उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। श्रीवास्तव की अन्य गतिविधियों और उनके द्वारा किए गए अन्य घोटालों की भी जांच जारी है।

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