दशलक्षण धर्म का पांचवा धर्म उत्तम सत्य एक आत्म दर्शन है
कोरबा। उत्तम सत्य धर्म एक आत्मदर्शन है। जो मनुष्य, तप और चार कषायों का निग्रह करके सत्य को समझ लेता है ।वही चेतन और अचेतन की पहचान कर पाता है। यह 10 लक्षण धर्म का पांचवा लक्षण है। उक्त विचार जयपुर से पधारे पंडित श्री रोहित शास्त्री जी ने पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन अपने प्रवचन के दौरान कही ,और बताया कि 10 लक्षण धर्म का पांचवा धर्म उत्तम सत्य धर्म है । जिसकी महत्वता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जो शब्द सबका हित करें। सुनने में सुखद हो और संशय पैदा ना करें, वही उत्तम सत्य धर्म है। जीवन में सत्य से बढ़कर कुछ नहीं ।सत्य, साधना से जागृत होता है। और साधनों में मर जाता है ।सत्य की चर्चा नहीं, उसकी चर्या होनी चाहिए। झूठ मन से पैदा होता रहता है ।और मुख से प्रकट होता है। सत्यवादी को मुख और मन दोनों से सच्चा होना चाहिए लेकिन जब से सत्य दुनिया में आया है। झूठ ने उसका बहिष्कार किया है।सत्य हमें जैन होने की शिक्षा देता है ।जैसे माता, बालक की प्रथम पाठशाला होती है। सत्य एक अनुभूति है ।सत्य वचन पुदगल की पर्याय है ।हमें सदैव वाणी में मिठास लाकर कोयल की तरह बोलकर सबको प्रभावित करना चाहिए। कड़वा बोलकर अपना स्वाभिमान नहीं गिराना चाहिए।
जैन मिलन समिति के उपाध्यक्ष दिनेश जैन ने बताया कि हम सभी को सत्य धर्म जानना जरूरी है अर्थात संसार को जानना ।यदि नहीं जानेंगे तो हम 84 लाख योनि में भटकते रहेंगे ।धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष इन चारों का ज्ञान बच्चों को सिखाना चाहिए। जन्म से मरण तक 16 संस्कार प्रदान किए जाते हैं ।बालक गर्व से ही सीखने लगता है। इसलिए गर्व से ही धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए। सत्य, बंध, वाणी और जीव में से वाणी और बंध में ही रस है। वाणी के घाव कभी भर नहीं सकते, जबकि तलवार और तीर के घाव भर सकते हैं।अत: सत्य वाणी की बात तो दूर, मात्र सच्ची समझ पूर्वक उत्पन्न हुई वीतराग परणति ही निश्चय से उत्तम सत्य धर्म है। जिस पदार्थ की जिस रूप में सत्ता है। उसे वैसा ही जानना सत्य ज्ञान है ।वैसा ही मनाना सत्य श्रद्धान है ।वैसा ही बोलना सत्य वचन है। और आत्मरूप के सत्य ज्ञान श्रद्धानपूर्वक वीतराग भाव की उत्पत्ति होना ही सत्य धर्म है।
इस प्रकार पर्यूषण पर्व पर समिति के समस्त धर्मावलंबियों ने अपना अमूल्य समय देकर उत्तम सत्य धर्म के हितोपदेशो को अपने जीवन में उतारने हेतु संकल्प लिया ।प्रातः काल 7:00 बजे से अभिषेक शांति धारा के साथ नित्य नियम पूजा हुई।आज श्री जी पर स्वर्ण कलश से प्रथम अभिषेक एवं शांति धारा श्री प्रमोद जैन ,राहुल जैन द्वारा की गई ।साथ ही प्रमोद जैन, राजेश जैन द्वारा छत्र चढ़ाया। गया। महिला मंडल की ओर से आरती की गई। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में जैन मिलन समिति के संरक्षक श्री राजेंद्र जैन ,वीरेंद्र नारद, अजीत लाल जैन, शीलचंदजैन, सुधीर जैन, शांत कुमार जैन एवं समिति के अध्यक्ष जयकुमार जैन, उपाध्यक्ष दिनेश जैन, मुकलेश जैन सचिव श्री नेमीचंद जैन, कोषाध्यक्ष महेंद्र कुमार जैन, सांस्कृतिक सचिव मनीष जैन ,अखिलेश जैन,राहुल जैन, वीरेन्द जैन, विशाल जैन आदि समस्त जैन समाज के लोग उपस्थित हुए। साथ ही समाज के महिला पुरुष एवं बच्चे उपस्थित हुए। उपरोक्त समस्त जानकारी जैन मिलन समिति के उपाध्यक्ष दिनेश जैन ने दी।