बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद भी क्रिकेट खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं
कोरबा 04 सितंबर। बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। इसके बावजूद इसका फायदा छत्तीसगढ़ के क्रिकेटर्स को मिलता नहीं दिख रहा। बताया जा रहा हैं की कोरबा को बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद भी आज तक यहां सुविधाएं नहीं बढ़ीं हैं।
छत्तीसगढ़ में क्रिकेट को लेकर लोगों में उत्साह जरुर है। लेकिन क्रिकेटर्स के लिए सुविधाओं की बात की जाए तो कोरबा जैसे छोटे जिले इस मामले में अभी भी बहुत पीछे हैं। हालत ये हैं कि बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद भी छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ और कोरबा जिला क्रिकेट एसोसिएशन के गठन को लगभग एक दशक का समय बीत चुका है। लेकिन अब तक जिले के क्रिकेट खिलाडियों के लिए एक अच्छी पिच नहीं बनाई जा सकी है। क्रिकेट संघ के पदाधिकारी शासन, प्रशासन और औद्योगिक संस्थानों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। तो सरकार और औद्योगिक संस्थान इसके लिए संघ वालों की निष्क्रियता की बात कहते हैं। यही कारण है कि कोरबा जिले का कोई भी खिलाड़ी अब तक रणजी की टीम में स्थान पक्का नहीं कर सका है।
छत्तीसगढ़ के रणजी टीम के गठन के लिए प्लेट और एलिट जिलों में ट्रायल्स की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कोरबा, रायगढ़, कांकेर और इस तरह के जिले छोटे जिले प्लेट ग्रुप में आते हैं। जबकि भिलाई, रायपुर, बिलासपुर जैसे बड़े जिले एलीट ग्रुप के टूर्नामेंट में शिरकत करते हैं। प्लेट ग्रुप के जितने भी जिले हैं, वहां सिलेक्शन ट्रायल और टूर्नामेंट के आयोजन के बाद सभी को मिलाकर खिलाडियों के प्रदर्शन के आधार पर एक टीम बनती है। जिसे रेस्ट ऑफ सीएससीएस का नाम दिया जाता हैं। इसके बाद यही टीम एलिट जिलों के टूर्नामेंट में एक टीम के तौर पर भाग लेती है। इस टूर्नामेंट के बाद छत्तीसगढ़ राज्य की रणजी टीम का सेलेक्शन किया जाता है। प्लेट जिलों के खिलाडियों के लिए रणजी टीम में स्थान पक्का करने का सफर बेहद कठिन होता है। कोरबा जैसे छोटे जिले के खिलाडियों को क्वॉलिटी प्रैक्टिस और मैच खेलने के लिए अच्छे टर्फ विकेट नहीं मिलते। जिसके कारण मजबूरी में वो पिच पर मैट बिछाकर प्रैक्टिस मैच खेलते हैं। इसका नुकसान उन्हें ऊपरी लेवल पर होता है। हाल ही में कोरबा जिले में सिलेक्शन ट्रायल्स का आयोजन किया गया। ये भी बिना टर्फ के मैट पर ही किया गया।