1400 साल पुराना महावृक्ष को ग्रामीण मानते है देवतुल्य
कोरबा 03 मार्च। प्रकृति की गोद में बसे सबसे पुराने जीवित वृक्षों में से एक साल का विशालकाय पेड़ कोरबा में मौजूद है। देवतुल्य मानकर इस महावृक्ष की पूजा करके ही स्थानीय ग्रामीण किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं। 1400 साल पुराने महावृक्ष को देखने हर साल दूर-दूर से हजारों पर्यटक यहां आते हैं। लोक आस्था और महावृक्ष के संरक्षण के लिए वन विभाग की टीम यहां हमेशा इसकी सुरक्षा में तैनात रहती है।1400 साल पुराना साल का वृक्ष कोरबा से 45 किलोमीटर दूर ग्राम सतरेंगा में आसमान को छूते हुए खड़ा है।
इस वृक्ष को गांव वाले देवतुल्य मानकर इसकी पूजा करते हैं। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इस पेड़ का आशीर्वाद लेते हैं। गांववालों की कई पीढिय़ों ने इस पेड़ को देखा हैए इसलिए वे इस पेड़ में अपने पूर्वजों की यादों को देखते हैं। साथ ही उनका कहना है कि कई पूर्वजों की आत्मा आज भी इस पेड़ में निवास करती है। प्रकृति से इतना लगाव है कि गांव में 1400 साल पुराना साल वृक्ष आज भी हरा भरा है। ग्रामीण विवाह के साथ गांव में कोई भी शुभ कार्य करने के पहले वृक्ष की पूजा करते हैं। वन विभाग ने वृक्ष को संरक्षित घोषित करते हुए चबूतरा बनाया है। पेड़ के तने की चौड़ाई 28 फीट 2 इंच व ऊंचाई 28 मीटर है। अच्छी बारिश व फसल के लिए ग्रामीण धान चढ़ाकर पूजा करते हैं। साथ ही यहां के पानी को घर घर बांटा जाता है। जरूरत पडऩे पर काटते हैं सूखे पेड़, गांव के सरपंच धनसिंह कंवर का कहना है कि हरे भरे वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध है। वन अधिकारियों ने बताया कि कई तरह की बीमारियां होने से अधिकांश पेड़ 120 से 150 वर्ष के भीतर ही नष्ट हो जाते हैं। सतरेंगा का साल वृक्ष अनूठा है जिसकी उम्र 1400 साल आंकी गई है। मातमार में भी 1000 साल पुराना साल वृक्ष है। जिसे संरक्षित घोषित किया गया है।