ग्रामीणों का प्रस्ताव: धनरास में समस्या हल होने पर ही राखड़ बांध की ऊंचाई होगी तय
कोरबा 6 जनवरी। एनटीपीसी की कोरबा परियोजना के अफसरों के गोलमोल और गलत जवाब से त्रस्त आ चुके धनरास गांव के लोगों ने साफतौर पर कह दिया है कि यहां के राखड़ बांध की रेजिंग को बढ़ाने का काम तब तक नहीं करने दिया जाएगा, जब तक कि राखड़ उडऩे की समस्या का हल नहीं खोज लिया जाता। अफसरों के सामने इस बात को पूरी मुखरता से ग्रामीणों ने रखा और उन्हें चलता कर दिया।
एनटीपीसी की जमनीपाली स्थित मेगा प्रोजेक्ट से 2600 मेगावाट बिजली उत्पादित की जा रही है। 80 के दशक में परियोजना की स्थापना के साथ इसकी कुल उत्पादन क्षमता 2100 मेगावाट थी जिसमें पांच इकाईयां काम कर रही थी। बीते वर्षों में बिजली की मांग बढऩे और केंद्रीय पूल से एनटीपीसी के द्वारा ज्यादा बिजली उपलब्ध कराने के दबाव को देखते हुए प्रबंधन ने जमनीपाली परियोजना ने 500 मेगावाट का विस्तार किया। इसके साथ अब यहां से कुल मिलाकर 2600 मेगावाट बिजली उत्पादित की जा रही है। इसके लिए प्रतिदिन कई लाख टन कोयला की खपत हो रही है। कोयला के उपयोग के बाद बड़ी मात्रा में निकलने वाली राख के भंडारण के लिए अलग-अलग तौर.तरीके अपनाए जा रहे हैं।
प्रदेश के कुछ सीमेंट उद्योगों और फ्लाईऐश ब्रिक्स प्लांट को नि.शुल्क राख आपूर्ति की जा रही है। एसईसीएल की कुछ बंद पड़ी परियोजनाओं में डंपिंग का काम कराया जा रहा है। जबकि शेष मात्रा एश डाइक में रखी जा रही है। धनरास डाइक में सुरक्षा के तमाम प्रबंधों के बावजूद हवा के झोंके आने पर राख उड़ती है और धनरास, छुटकी छुरी, सलोरा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। काफी समय से इस प्रकार की समस्याएं बनी हुई है और लोग परेशान हो रहे हैं। इन सबके बीच प्रबंधन चाहता है कि राखड़ बांध की ऊंचाई को बढ़ाया जाए ताकि राख की अधिकतम मात्रा को यहां पर सहेजना संभव हो सके। अधिकारियों ने इस मसले को लेकर इलाके का दौरा किया। योजना की भनक लगने पर ग्राम के सरपंच और लोगों ने अफसरा की जमकर खबर ली। अफसरों को कहा गया कि सबसे पहले उन्हें यहां पर मौजूद समस्या का स्थायी और निर्णायक समाधान खोजना होगा, जिसके कारण जन स्वास्थ्य के खतरे पैदा हुए हैं। लोगों ने वे सारी समस्या बताई जो यहां पर उपस्थित है और किसी के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। अधिकारियों ने अपने हिसाब से लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि इससे पहले भी अधिकारियों के द्वारा समस्या को लेकर बात सुनी गई और झूठे आश्वासन दिए गए।