फोरलेन निर्माण कार्य के लिए प्रशासन ने जारी किये कंपनी को 27 करोड़ का चेक

कोरबा 11 मई। आखिरकार नागपुर की एसएमएस कंपनी को 27 करोड़ की राशि का चेक जारी कर दिया गया है। वह ईमलीछापर. कुसमुंडा. तरदा फोरलेन का निर्माण कर रही है। काफी काम करने के बावजूद उसे पिछले कई महीनों से उसे भुगतान नहीं किया जा रहा था। एक सप्ताह पहले कंपनी के कर्मियों ने इस मामले को लेकर लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में धावा बोला था।   

पिछले दिन इस तरह के प्रदर्शनों के आशाजनक परिणाम आये हैं। फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी के मामले में भी यही हुआ। लगभग 200 करोड़ की लागत से कोरबा जिले की कुसमुंडा क्षेत्र में बन रहे फोरलेन सड़क का पूरा खर्च कोयला कंपनी एसईसीएल वहन कर रही है। उसने सीएसआर मद से इस काम को कराना तय किया है और पिछले वर्ष ही इसके लिए राशि जिला प्रशासन को सौंप दी। जमीन अर्जन से लेकर आगे के काम शुरू कर दिए गए हैं। निर्माण से जुड़ी कंपनी ने इंजीनियर, तकनीकि सहायक से लेकर मानचित्रकार और वाहन चालक व मजदूरों की 250 की संख्या इस काम में नियोजित की है। ये लोग बाहर के हैं और यहां जीविका चला रहे हैं। काम करने के बावजूद सरकारी तंत्र की ओर से समय पर भुगतान नहीं करने के चक्कर में ठेका कंपनी की परेशानी बढ़ गई थी। इसे लेकर बार-बार चक्कर कटवाये जा रहे थे। इसी मामले को समझने के लिए निर्माण एजेंसी के जनरल मैनेजर केके शर्मा और मजदूरों ने लोक निर्माण विभाग पहुंचकर वास्तविकता जाननी चाही कि आखिर पेंच कहां फंस रहा है। इस दौरान जीएम और विभाग के कार्यपालन अभियंता के बीच जमकर बहसा-बहसी हुई थी। उस समय कहा गया था कि समस्या गंभीर है और इसके समाधान के लिए कोशिश करायी जाएगी। लोक निर्माण विभाग के कोरबा खंड प्रभारी अशोक वर्मा ने बताया कि 27 करोड़ की राशि का चेक प्रशासन से जारी हो गया है, जो कंपनी को सौंपा जा रहा है। अब तक की स्थिति में अन्य कोई देयक लंबित नहीं हैं। इससे समस्याएं सुलझेंगी और काम बढ़ेगा।     

जानकारी के अनुसार फोरलेन निर्माण का कार्य एसईसीएल के सीएसआर मद से कराया जा रहा है। पूरी राशि इसी से दी गई है। इस काम के लिए ठेका लेने वाली फर्म ने लोक निर्माण विभाग के साथ अनुबंध किया है। नियमानुसार सीधे तौर इसी विभाग को देयक प्राप्ति के साथ परीक्षण के पश्चात चेक काटने चाहिए। लेकिन व्यवस्था ऐसी नहीं है। बताया गया कि यह काम प्रशासन के स्तर का है। वहां से चेक आने के बाद आगे का काम पूरा होता है। इसके चलते कई प्रकार की उलझनें पैदा हो रही है। याद रहे भुगतान में विलंब को लेकर ही पूर्व में निर्माण करने वाली कंपनी ने कामकाज बंद कर दिया था।

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