कोरबा 3 जुलाई। डीएमएफ से नियुक्त डॉक्टर कोरोना वैक्सीन को अपने निजी क्लीनिक में 6 सौ से 12 सौ रुपये लोगों को बेच रहे है। जबकि जिले में वैक्सीन की कमी है। उस अवसर का फायदा उठाते हुए यहां शासकीय अस्पताल में डीएमएफ से पोस्टेड एक डाक्टर फायदा उठा रहे है। इस मामले की जानकारी सामने के आने के बाद कलेक्टर रानू साहू ने नाराजगी जाहिर की है और उन्होने स्पष्ट कहा है कि अगर ऐसा हुआ है तो ऐसे डॉक्टरों को बख्शा नही जायेगा और कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त लगाने की घोषणा किये हुए है। लेकिन कोरबा में शिशुरोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.अशोक माखिजा की निजी ओपीडी में को-वैक्सीन और कोविशील्ड की डोज आम लोगो को 800 से 1200 रूपये तक वसूल कर लगाये जा रहे है। इस पूरे प्रकरण में गौर करने वाली बात ये है कि डॉ.अशोक माखिजा की पोस्टिंग शहर के धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में जिला खनिज न्यास मद से किया गया है। डीएमएफ से पोस्टिंग के बाद भी डॉक्टर मखीजा जहां शर्तो का उल्लंघन कर अपना निजी क्लीनिक चला रहे है, वही निजी क्लीनिक की आड़ में ही सरकारी वैक्सीन को प्राईवेट बताकर अपनी जेब भर रहे है। मामले की जानकारी होने के बाद जब डॉ.माखीजा से हकीकत जाननी चाही तो उन्होने पहले तो कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। लेकिन बाद में उन्होने बताया कि सरकार की एपीएल, बीपीएल वाली स्कीम में कई केद्रों में वैक्सीन की वायल में डोज बच जाया करते थेए वो डोज बर्बाद ना हो इसलिए उसे वो नजदीकी केंद्रो से अपने निजी क्लीनिक में लाकर मरीजों को लगा रहे थे। बाचतीच में उन्होने यहां तक कह दिया कि इस बात की जानकारी सीएमएचओं डॉ.बी.बी.बोर्डे को भी हुई थी, तब उन्हे भी उन्होने यहीं जानकारी दी थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर वो कौन से केंद्र है, जहां से डॉ.माखीजा के निजी क्लीनिक के लिए को.वैक्सीन और कोविशील्ड के डोज लगातार उपलब्द्ध कराये जा रहे है? वही सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर जब मामले की जानकारी सीएमएचओं को हुई तो उन्होने वैक्सीनेशन के इस गोरखधंधे को तत्काल प्रभाव से बंद क्यों नही कराया? खैर वैक्सीन के इस गोरखधंधे के तार कहां.कहां जुड़े है, इसका खुलासा तो अब जांच के बाद ही हो पायेगा, लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर कोरबा जिले में स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है।

डॉक्टर माखीजा पहले जिला चिकित्सालय में शासकीय चिकित्सक थे। कई बार उनपर इलाज में लापरवाही बरतने, बिलंब से चिकित्सालय आने का शिकायत रही है। एक मामले में जेल की भी हवा खानी पड़ी। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच डीएमएफ से चिकित्सकों की भर्ती हुई तो उन्होंने फिर से मोटी वेतन में ज्वाइन कर लिया। अभी रानी धनराज कुंवर अस्पताल में पदस्थ है। लेकिन चिकित्सालय में कम निजी क्लीनिक में ज्यादा समय देते है।

कलेक्टर कोरबा रानू साहू से जब इस मामले पर जानकारी चाही गयी तो उन्होने बताया कि संज्ञान में आया है। जांच किया जाएगा। सही पाए जाने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि प्रदेश सरकार सभी को मुफ्त में वैक्सीन लगा रही है। जिला प्रशासन अभियान चलाकर लोगों का वैक्सीनेशन करवा रहा है। ऐसे में यदि प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में डीएमएफ से पदस्थ डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक में लोगों से पैसे लेकर वैक्सीन लगा रहे है तो फिर ये गंभीर विषय है। कलेक्टर रानू साहू ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन की कालाबाजारी बिल्कुल बर्दाश्त नही की जायेगी।

कोरबा के सीएमएचओ डॉ.बी.बी.बोडे से जब इस मामले की हकीकत जाननी चाही, तो उन्होने बताया कि ढाई महीने पहले उन्हे डॉ.माखिजा के क्लीनिक में वैक्सीन लगाये जाने की शिकायत मिली थी। जिसके तुरंत बाद सीएमएचओं ने डॉ.अशोक माखिजा को चेतावनी देकर इसे बंद करने को कहा था। लेकिन सीएमएचओ की चेतावनी के बाद भी ये बंद नही हो सका और पिछले ढाई महीने से वैक्सीनेशन का ये खेल लगातार चल रहा था। सीएमएचओं डॉ.बोर्डे ने बताया कि मौजूदा वक्त में कोरबा जिले में किसी भी निजी हॉस्पिटल या क्लीनिक को कोविड वैक्सीन लगाने का परमिशन नही दिया गया है, सभी जगह सरकारी केंद्रो में मुफ्त वैक्सीनेशन किया जा रहा है, ऐसे में अगर डॉ.माखीजा ऐसा कर रहे है तो ये अवैधानिक है।

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