परमबीर का लेटरबम, महाराष्ट्र में क्या बीजेपी सरकार के लिए बन रहा अवसर?
मुम्बई 21 मार्च। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजी चिट्ठी से राज्य की राजनीति में खलबली मची हुई हुई हैं। यहां आरोप सीधे- सीधे गृहमंत्री पर लगे हुए हैं। परमबीर सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि ‘महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पुलिस अधिकारियों से हर महीने बार और होटलों से वसूली करने को कहते थे।’ इस आरोप के बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार बैकफुट पर है।
क्या करेंगे उद्धव
अब संकट हैं सीएम उद्धव ठाकरे के सामने, क्योंकि परमबीर का खत सामने आने के बाद बीजेपी जिस तरह गृह मंत्री अनिल देशमुख को हटाने की मांग पर अड़ी हुई हैं उससे उद्धव के पास अब सीमीत विकल्प नजर आ रहे हैं। हालांकि देशमुख ने आरोप खारिज करते हुए परमबीर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है। वहीं अगर उद्धव ठाकरे अनिल देशमुख को हटाते हैं तो फिर राज्य में और भी खुलासे हो सकते हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि जो बातें परमबीर सिंह कह रहे हैं वो बाते कई अन्य मंत्रियों को भी पता थी। बीजेपी एंटीलिया केस और अनिल वाझे को लेकर शुरूआत से ही अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है। बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोप अब पुष्ट होते हुए दिख रहे हैं।
क्या बिहार वाला सीन दोहराएगी बीजेपी
आपको याद होगा कुछ साल पहले बिहार में महागठबंधन (राजद- जेडीयू और कांग्रेस) की सरकार गिर गई थी और बाद में बीजेपी ने समर्थन देकर नीतीश को सीएम बनाकर समर्थन दिया था। अभी महाराष्ट्र में जिस तरह के हालात हैं ऐसे में राज्य में गठबंधन सरकार पर भी खतरा नजर आ रहा है। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि उद्धव एनसीपी के साथ अपने गठबंधन को लेकर फिर से सोच सकते हैं वहीं बीजेपी इसे एक अवसर के रूप में अपने लिए देख रही है और हो सकता है कि सरकार बनाने के लिए बीजेपी शिवसेना फिर से साथ आ सकते हैं.
इन सबके बीच शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने एक ऐसा ट्वीट किया है जिसपर सबका ध्यान आकर्षित हो रहा है।
रविवार सुबह संजय राउत ने शुप्रभात लिखते हुए प्रसिद्ध गीतकार, लेखक जावेद अख्तर की एक शायरी को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘शुभ प्रभात, हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है, हम हैं मुसाफिर ऐसे जो मंजिल से आए हैं।’ संजय राउत के इस ट्वीट को सियासी संदर्भ में भी देखा जा रहा है। लोग उनसे ट्वीट पर इसे लेकर सवाल भी कर रहे हैं कि आखिर उन्हें कौन से नए रास्तों की तलाश है। वहीं कुछ लोग उन्हें उनके पुराने शेर याद दिला रहे हैं।
शनिवार को कही थी ये बात
इससे पहले संजय राउत ने शनिवार को कहा था कि मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच एनआईए को सौंपना मुंबई पुलिस या महाराष्ट्र सरकार के लिये झटके की बात नहीं है। राउत ने नासिक में पत्रकारों से कहा, ”विस्फोटक से लदी एसयूवी कार मिलने और मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच एनआईए को सौंपने की कोई जरूरत नहीं थी। आतंकवाद-रोधी दस्ता और मुंबई पुलिस इन मामलों की जांच करने में सक्षम हैं। बहरहाल, केन्द्र सरकार महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को घेरने के मौके तलाश रही है। आप चाहें तो सीआईए या केजीबी से इस मामले की जांच करा लें…इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’