कही-सुनी (12 JAN-25) : रवि भोई

मंत्रिमडल विस्तार और नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव भंवर में

लगता है छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का विस्तार और नगरीय निकाय-पंचायत एक पहेली बन गई है। साय मंत्रिमंडल में दो पद खाली हैं। मंत्री बनने के इच्छुक विधायक दौड़ तो लगा रहे हैं, अब खाली पद को भरने के लिए आवाज भी उठने लगी है। मुख्यमंत्री जब राज्यपाल से मिलने जाते हैं या दिल्ली से कोई भाजपा नेता आता है तो मंत्रिमंडल विस्तार की सुरसुरी शुरू हो जाती है। अब मकर संक्रांति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा चल पड़ी है, पर लग नहीं रहा है कि दावेदारों की इच्छा इतनी जल्दी पूरी होगी। मंत्रिमडल विस्तार का तार संगठन चुनाव और नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव से जुड़ा है। बताते हैं मंत्रिमंडल विस्तार में बड़ा पेंच प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव का फंसा है। कहा जा रहा है कि किरणदेव दोबारा प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने तो मंत्री बनना चाहेंगे। चर्चा है कि नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में पार्टी को कई तरह के ऊंच-नीच नजर आ रहे हैं। कायदे से नगरीय निकाय चुनाव दिसंबर में निपट जाना चाहिए था। पर नगरीय निकाय में जीत के लिए भाजपा की मजबूत जमीन तैयार न हो पाना आड़े आ गया। सरकार इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव साथ -साथ कराने का फैसला किया है। शहरों की हवा अलग और गांवों की हवा अलग,फिर दिसंबर निकल गया तो आगे स्कूली परीक्षा सिर पर है। मंत्रिमंडल विस्तार और नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव की वर्तमान परिस्थिति से तो लग रहा है कि ये भंवर में फंस गए हैं।

शिक्षा विभाग को लेकर एबीवीपी नेता का फूटा गुबार

कहते हैं पिछले हफ्ते राजनांदगांव में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत अधिवेशन में राज्य में शिक्षा मंत्री के पद रिक्त होने और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर एक एबीवीपी नेता का गुस्सा फट पड़ा। बताते हैं प्रांत अधिवेशन का शुभारंभ विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने किया और उनके सामने ही शिक्षा विभाग के कामकाज पर आवाज बुलंद किया जाने लगा। एबीवीपी भाजपा की ही सहयोगी संगठन है। राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी एबीवीपी के एक नेता का तीखा तेवर लोगों में चर्चा का विषय है। बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय संभाले हुए हैं। कर्मचारियों के नजरिए से स्कूल शिक्षा विभाग को काफी बड़ा माना जाता है।

डीजीपी के लिए पैनल-पैनल का खेल

कहते हैं छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी के लिए पैनल-पैनल का खेल चल रहा है। चर्चा है कि नए डीजीपी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भेजे गए तीन आईपीएस अफसरों के पैनल को संघ लोकसेवा आयोग ने लौटा दिया है। बताते हैं यूपीएससी ने पैनल में एडीजी जीपी सिंह का नाम शामिल करने का सुझाव दिया है। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दिसंबर 2024 में सेवा में बहाल जीपी सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच में सबसे वरिष्ठ हैं। 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता डीजी प्रमोट हो गए हैं और डीजीपी के पैनल में उनका नाम है। माना जा रहा है इस आधार पर यूपीएससी ने पैनल में जीपी सिंह का नाम जोड़ने को कहा है। डीजीपी के पैनल में अरुणदेव गौतम और पवन देव का भी नाम है। ये दोनों 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल पांच फरवरी तक है। कहा जा रहा है नए डीजीपी के लिए ऐसे ही पैनल-पैनल का खेल चलता रहा तो जुनेजा साहब के लिए फिर एक्टेंशन का रास्ता साफ़ हो जाएगा।

अफसरों के खिलाफ ननकीराम का मोर्चा

भाजपा के आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने राज्य के कुछ आईएएस अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उनके खिलाफ पुराने मामले निकाल-निकालकर पुलिंदों के साथ ईडी-सीबीआई से लेकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और कोयला मंत्री को भेज रहे हैं। खासतौर से कोरबा में पदस्थ रहे अफसरों के खिलाफ वे काफी आक्रामक लगते हैं। ननकीराम कंवर मध्यप्रदेश के जमाने के नेता हैं। इस कारण उनकी शिकायतों को गंभीरता से लेकर ऊपर के नेता टिप्पणी के साथ राज्य को चिट्ठी भेजने लगे हैं। बताते हैं इसके कारण अफसरों में उनके नाम का दहशत बनने लगा है। राज्य में भाजपा की सरकार है और आदिवासी नेता मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में राज्य नेतृत्व से शिकायत करना छोड़कर ननकीराम का दिल्ली की तरफ रुख करना लोगों के मन में कई तरह का संदेह भी पैदा कर रहा है। वैसे अब तक ननकीराम कंवर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति सहृदय बने हुए हैं।

रेणु पिल्लै को चीफ सेक्रेटरी का मौका

मुख्य सचिव अमिताभ जैन के अवकाश पर जाने के कारण 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्लै करीब आठ दिनों के लिए राज्य की चीफ सेक्रेटरी रहेंगी। एक हफ्ते के लिए ही सही राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव के तौर रेणु पिल्लै का नाम दर्ज हो जाएगा। रेणु पिल्लै की छवि सख्त और ईमानदार अफसर की है, यही वजह है कि हर सरकार में उनका विभाग जल्दी-जल्दी बदलता रहा है और कुछ फैसलों के लिए चर्चा में भी रही हैं। अमिताभ जैन के बाद आईएएस अफसरों के वरिष्ठता क्रम में रेणु पिल्लै का नंबर है, लेकिन कांग्रेस राज में अमिताभ जैन की अनुपस्थिति में मुख्य सचिव का प्रभार रेणु पिल्लै की जगह एसीएस सुब्रत साहू को दिया गया। रेणु पिल्लै की पोस्टिंग फिलहाल मंत्रालय से बाहर है।वे माध्यमिक शिक्षा मंडल और व्यावसायिक परीक्षा मंडल की अध्यक्ष हैं। अब प्रभारी मुख्य सचिव के रूप में उनकी कार्य दक्षता का परीक्षण हो जाएगा।

रोहित यादव की लंबी छुट्टी चर्चा में

2002 बैच के आईएएस डॉ रोहित यादव 70 दिन की छुट्टी पर चले गए हैं। डॉ यादव कुछ महीने पहले ही भारत सरकार से छत्तीसगढ़ लौटे हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने पर राज्य सरकार ने उन्हें ऊर्जा सचिव के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल का अध्यक्ष बनाया था। डॉ रोहित यादव प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव रहे हैं। पीएमओ में रहने के कारण माना जा रहा था कि उन्हें सीएमओ में रखा जाएगा, लेकिन उन्हें बिजली की जिम्मेदारी दे दी गई। कुछ महीने छत्तीसगढ़ में काम करने के बाद उनकी लंबी छुट्टी पर जाना चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि रोहित यादव पारिवारिक कारणों के चलते लंबी छुट्टी ले ली है। रोहित यादव का परिवार अभी दिल्ली में है। रोहित यादव की अनुपस्थिति में उनका काम मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह देखेंगे। सुबोध सिंह पहले राज्य विद्युत मंडल की कंपनियों में प्रबंध संचालक में रह चुके हैं।

नेताओं की पत्नियां बनीं दावेदार

रायपुर महापौर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने के बाद कांग्रेस नेताओं की पत्नियां टिकट की दावेदार हो गई हैं। बताते हैं पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा, हाल तक महापौर रहे ऐजाज ढेबर और पूर्व महापौर प्रमोद दुबे की पत्नी महापौर के लिए कांग्रेस की तरफ से टिकट की दावेदार के रूप में उभरी हैं। आरक्षण के पहले कुलदीप जुनेजा और प्रमोद दुबे महापौर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। अब अपनी पत्नियों को आगे कर दिया है। भाजपा की तरफ से महापौर के लिए नेता प्रतिपक्ष रही मीनल चौबे, ममता अग्रवाल, शताब्दी पाण्डे, लक्ष्मी वर्मा और ममता साहू का नाम चर्चा में है। अभी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा नहीं हुई है,पर भाजपा और कांग्रेस में दावेदारों की कतार लगनी शुरू हो गई है और बड़े नेताओं के निवास पर टिकट के इच्छुक नेताओं – कार्यकर्ताओं की भीड़ बढ़ने लगी है।

दीपक बैज की पदयात्रा पर उठे सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की ख़ुटपदर से जगदलपुर की पदयात्रा पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने स्थानीय समस्याओं और मांगों को लेकर गाजे-बाजे के साथ करीब 14 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली तो भाजपा के निशाने पर आ गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की यह पदयात्रा पूर्वनिर्धारित थी, पर बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की अंत्येष्टि से पहले उनकी यात्रा ने भाजपा को उन पर हमला का मौका दे दिया। पत्रकार के हत्यारे के कांग्रेस से जुड़े होने के आरोपों से घिरी पार्टी पर वार के लिए भाजपा को नया आधार मिल गया। कुछ लोग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की पदयात्रा को पद बचाने की यात्रा भी बता रहे हैं। चर्चा है कि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदला जाना है, उसके पहले दीपक बैज अपनी ताकत दिखा रहे हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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