नगर निगम का कमाल: महापौर के वार्ड में डामरीकरण, शहर की सड़कें खस्ताहाल

कोरबा 16 अक्टूबर। एक ओर शहर की प्रमुख सड़कें खस्ताहाल हैं और आम नागरिक सड़क चलते धूल फांकने के लिए मजबूर हैं, वहीं नगर निगम का कमाल देखिए कि महापौर के पम्प हाउस वार्ड में डामरीकरण का कार्य कराया जा रहा है।

कोरबा में कोलतार की सड़क निर्माण में घोटाला यानी घटिया निर्माण का इतिहास पुराना है। पिछले एक दशक में जितनी बार कोरबा की सड़कों का डामरीकरण किया गया, उतनी बार चंद दिनों के अंतराल में पहली ही बारिश में सड़कें उखड़ गईं। नगर निगम हमेशा सफाई देता रहा कि उखड़ी सड़कों का रखरखाव ठेकेदार करेगा, परन्तु कभी ऐसा नहीं हुआ। कागजों में हुआ होगा, तो यह नगर निगम ही बता सकता है।

बहरहाल, इस वर्ष बारिश में एक बार फिर शहर की सड़कें उखड़ गईं। नगर निगम कार्यालय से लेकर कोसाबाड़ी, घण्टाघर, बुधवारी, सी एस ई बी चौक, आई टी आई से बुधवारी वी आई पी रोड, सी एस ई बी चौक से सीतामणी तक मुख्यमार्ग की पूरी सड़क उखड़ गए और जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे हो गए। आम लोगों का सड़क पर चलना कठिन हो गया। राहगीरों को गर्दो- गुबार के बीच सड़क पर चलने, हिचकोले खाने, आखों में जीरा गिट्टी की चोट खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

दूसरी ओर नगर पालिक निगम कोरबा का कमाल देखिए कि शहर की सड़कों की मरम्मत करने की जगह महापौर के चुनाव क्षेत्र पम्प हाउस में सड़कों का डामरीकरण कराया जा रहा है। जबकि पम्प हाउस की सड़कें नगर निगम की नहीं हैं। यह कालोनी और यहां की सड़कें एस ई सी एल की हैं। यहां कीसड़कों के रखरखाव का दायित्व एस ई सी एल प्रबन्धन का है। मगर महापौर का चुनावी वार्ड है इसलिए शहर की सड़कों को छोड़कर पम्प हाउस की एस ई सी एल की सड़कों का डामरीकरण ज्यादा महत्वपूर्ण है?

इस बीच खबर मिली है कि नगर निगम ने सीमेंट कांक्रीट से शहर की सड़कों के गड्ढे भरने के लिए 40 लाख रुपये का टेंडर किया है। कटघोरा की मेसर्स जय क्रसर इंडस्ट्रीज को वर्क आर्डर भी हो चुका है। ट्रांसपोर्ट नगर में कुछ गड्ढे सीमेंट कांक्रीट से भरे भी गए हैं। लेकिन न तो जो काम हुआ है, वह चालीस लाख का है और ना ही सड़कों को समतल किया जा सका है। ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम चुनाव के करीब आ चुके मौसम में 40 लाख का कथित टेंडर केवल घोटाला करने के लिए जारी किया गया है।

लोगों का कहना है कि पम्प हाउस वार्ड में जो डामरीकरण किया जा रहा है, उसकी जगह शहर की सड़कों को सीलकोट कर देते, तो लाखों लोगों को लाभ मिलता। वैसे भी डामर की सड़क की मरम्मत सीमेंट कंक्रीट से करना बेतुका और शासकीय धन का अपव्यय ही कहा जायेगा। लेकिन नगर निगम कोरबा अपने ऐसे ही करतबों के लिए जाना जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि आई ए एस निगम आयुक्त को भी ऐसे फैसलों में कोई खामी नजर नहीं आती?

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