पहाड़ी क्षेत्र में गहराई पानी की समस्या, लोगों की बढ़ी मुश्किलें
कोरबा 15 मई। एसईसीएल के ओवरबर्डन पहाड़ी क्षेत्र में कुछ साल पहले बसी गायत्री नगर बसाहट में भीषण गर्मी में लोगों को दूर से पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है। मोहल्ले में टैंकर से जल आपूर्ति की जा रही है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है।
एसईसीएल कॉलोनी के समीप स्थित गायत्री नगर में पेयजल की समस्या गहराई हुई है। गर्मी के दिनों में यह समस्या और बढ़ गई है। वार्ड नंबर 27 के अंतर्गत आने वाले इस मोहल्ले में करीब 70 परिवार निवास करते हैं। मोहल्ले में नगर निगम द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति होती है। वर्तमान में सुबह-शाम मात्र आधा पौन घंटे के लिए पानी की आपूर्ति की जा रही है। पहले पानी सभी को पर्याप्त मिल रहा था, किंतु जैसे ही गर्मी बढ़ी पानी की खपत भी बढ़ी है। इसके अलावा कई घरों में टुल्लू पंप लगा लिया गया है जिसके कारण लोगों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। मोहल्लेवासियों ने इसकी शिकायत वार्ड पार्षद से की जिस पर पार्षद द्वारा निगम स्थानीय लोगों ने बताया कि पड़ोसी जिलों में कई लोगों के गृह ग्राम है, जो यहां मोहल्ले में रहकर विभिन्न कामकाज करते हैं।
पानी की समस्या को देखते हुए कई परिवारों ने गांव की ओर रूख कर लिया है। पानी की समस्या इतनी विकराल है कि गुजर बसर मुश्किल हो रहा है। एक तरफ नगर निगम द्वारा घर-घर पानी पहुंचाने का दावा किया जा रहा है तो दूसरी ओर शहर से लगे मोहल्ले में पानी की समस्या को लेकर पलायन की स्थिति निर्मित हो गई है। अधिकारियों से टुल्लू पंप हटाने की बात कही गई थी, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोगों ने बताया कि जिन्होंने टुल्लू पंप लगाया है उन्होंने निगम के पानी मीटर से पहले बाइपास कर लिया है। जिससे पानी की खपत की रीडिंग भी नहीं हो रही है और अन्य घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। लोगों को पाइप लाइन से निस्तारी तो क्या पीने के पानी लिए भटकना पड़ रहा है। मोहल्ले में पेयजल के अन्य कोई स्त्रोत जैसे हैंडपंप या कुआं नहीं है। यहां के निवासियों को आम निस्तारी के लिए अब मानिकपुर पोखरी से पानी लाना पड़ रहा है। पोखरी में जलकुंभी की भरमार से जिससे पानी गंदा हो गया है।
उपरोक्त गायत्री नगर बसाहट कुछ साल पहले ही यहां बसी है। एसईसीएल के पहाड़ी क्षेत्र में लोगों ने कच्चे-पक्के मकान बना लिए हैं। ऊंचाई संबंधी कारणों से पानी की पहुंच नहीं हो रही है। समस्या को देखते हुए निराकरण के लिए प्रस्ताव बनाया जा रहा है।