जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में 73.41 प्रतिशत वोटिंग दर्ज

मुख्य मुकाबला ज्योत्सना और सरोज के बीच, लेकिन गोंगपा के वोट पर टिका नजर

कोरबा 08 मई। अनारक्षित कोरबा लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण के अंतर्गत मतदान संपन्न हो गया है। कोरबा जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में 73.41 प्रतिशत वोटिंग दर्ज हुई। जबकि तीन जिलों के अंतर्गत आने वाले चार विधानसभा क्षेत्रों में भी वोटिंग का औसत लगभग कोरबा जिले के बराबर ही रहा। वोटिंग के आधार पर भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकार अपने-अपने हिसाब से जीत प्राप्त होने की बात कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही उनकी नजर इस बात पर है कि अपने प्रभाव क्षेत्र पाली-तानाखार और भरतपुर-सोनहत में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कितने वोट हासिल कर पाती है। नतीजों का पूरा दारोमदार इसी पर टिका हुआ है।

निर्वाचन विभाग के द्वारा कोरबा संसदीय क्षेत्र में मतदान की सांख्यिकी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। इसके अनुसार अंतिम रूप से कोरबा जिले में कुल मिलाकर 73.41 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में 73.64 पुरुषों तथा 73.19 प्रतिशत महिलाओं और 10.81 थर्ड जेंडर ने सांसद चुनने के लिए मतदान किया। मतदान करने वालों की कुल संख्या 6 लाख 87 हजार 698 रही। इनमें 3 लाख 43 हजार 111 पुरुष और 3 लाख 44 हजार 583 महिला मतदाताओं ने मतदान किया। जबकि कोरबा जिले में कुल पंजीकृत वोटर्स 9 लाख 36 हजार 783 हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 4 लाख 65 हजार 953 और महिलाओं की संख्या 4 लाख 70 हजार 793 व थर्ड जेंडर की संख्या 37 है। गौर करने वाली बात यह है कि सांसद के साथ-साथ देश के लिए प्रधानमंत्री चुनने हेतु कोरबा जिले में महिला मतदाताओं ने जागरूकता का बेहतर प्रदर्शन अपनी उपस्थिति के आधार पर किया। 26.59 प्रतिशत मतदाता ऐसे भी रहे जिन्होंने मतदान करने की जरूरत नहीं समझी, चाहे कारण जो भी हो।

कोरबा के अलावा संसदीय क्षेत्र में जीपीएम जिले की मरवाही, बैकुंठपुर जिले की बैंकुंठपुर और एमसीबी जिले की मनेंद्रगढ़ व भरतपुर-सोनहत सीट शामिल हैं। 7 लाख से अधिक मतदाता इन सीटों पर पंजीकृत हैं। जिनमें से 5 लाख से भी कम ने मताधिकार का प्रयोग लोकसभा चुनाव के लिए किया है। 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान इन सीटों पर रिकार्ड किया गया है। रणनीतिक तैयारी और वोटर्स के रूझान को ध्यान में रखते हुए मुख्य रूप से चुनाव मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उतरी भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने दावे किये हैं कि इस चुनाव में उनकी जीत तय है। हालांकि सच यही है कि कोई एक प्रत्याशी को जीत मिलना है। खबर के मुताबिक दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में बूथ स्तर पर प्राप्त हुए वोट और इसके ताने-बाने की समीक्षा भी शुरू हो गई है। इसी के आधार पर कहा जा रहा है कि जीत की इबारत लिखी जाएगी। वहीं जानकार इस बात को भी दोहरा रहे हैं कि इन दोनों पार्टियों की नजर मुख्य रूप से पूरे चुनाव में गोंगपा पर रही। उन्हें इंतजार भी इसी बात का है कि आखिर चुनाव के दौरान गोंगपा को कितने मत प्राप्त होते हैं। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य कुछ सीटें दोनों पार्टियों का गणित बिगाड़ती रही है। हालांकि इस बार भाजपा ने अपने हिसाब से स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है वहीं कांग्रेस ने कई आधार पर समीकरण को साधने को दावे किये हैं। असली तस्वीर क्या है, इसका खुलासा 4 जून को ईवीएम खुलने के बाद ही होगा।

कोरबा लोकसभा क्षेत्र के गठन के बाद यह चौथा चुनाव है जिसमें प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा ने महिला चेहरों को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को दूसरी बार अवसर दिया जबकि भाजपा ने पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सरोज पांडेय को उनके सामने खड़ा किया। सरोज इससे पहले महापौर और विधायक भी रह चुकीं हैं। इन नाते अनुभव के मामले में उन्हें वरीयता मिली हुई है। इन सबसे अलग कोरबा लोकसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के अलावा बसपा और गोंगपा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की जबकि 23 और चेहरे मैदान में थे। चुनाव संपन्न होने के बाद ईवीएम स्ट्रांग रूम के हवाले हो चुकी है। नतीजे आने तक लोग अपने-अपने तरीके से चर्चा करेंगे और आंकलन भी लगाएंगे। सबसे बड़ा सवाल इसी बात पर टिका हुआ है कि आखिर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता अपने नेता के तौर पर किस चेहरे को संसद भेज रहे हैं।

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