कोरबा सीट का सबसे बड़ा समीकरण: निपटेंगे तो निपटाएंगे, चौतरफा दहशत

कोरबा 30 अप्रेल। कोरबा लोकसभा सीट पर 7 में को मतदान होना है, लेकिन दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अब तक चार्ज नहीं हो सके हैं। ऊपर से चौतरफा दहशत का वातावरण बना हुआ है।दोनों दलों के नेताओं- कार्यकर्ताओं को डर है कि जो भी प्रत्याशी इस चुनाव में निपटेगा, वह चुनाव के बाद कोरबा के नेताओं- कार्यकर्ताओं को निपटायेगा।

कहने के लिए तो कोरबा सीट पर 27 प्रत्याशी मैदान में है, परंतु असल मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच है। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व राज्यसभा सांसद और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने कोरबा की मौजूदा सांसद और छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत की पत्नी श्रीमती ज्योत्सना महंत को दोबारा मौका दिया है।

लोकसभा की टिकट वितरण को लेकर दोनों ही पार्टियों में असंतोष व्याप्त है। भाजपा में असंतोष का मुख्य कारण स्थानीय प्रत्याशियों को मौका नहीं दिया जाना है, तो कांग्रेस पार्टी में पिछले 5 वर्षों के शासनकाल में चंद नेताओं को छोड़कर किसी भी स्थानीय नेता और पार्टी कार्यकर्ता को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाना मुख्य वजह है। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि कोरबा के ही किसी पार्टी नेता को टिकट मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे कथित रूप से पार्टी नेता तो रुष्ट हुए ही साथ ही कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी पैदा हो गई।

उधर कांग्रेस पार्टी में 5 साल के शासनकाल में संघर्षशील और जमीन से जुड़े पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कोई लाभ नहीं दिया जाना, साथ ही सांसद एवं स्थानीय मंत्री की परिक्रमा करने वाले लोगों को कथित रूप से बेतहाशा फायदा पहुंचाना, आम कार्यकर्ताओं का कोई काम नहीं किया जाना आदि नाराजगी का सबब बना हुआ है।

हालत यह है कि मतदान के लिए केवल 7 दोनों का समय बचा है और दोनों ही पार्टियों के नेता तथा कार्यकर्ता चुनाव अभियान को लेकर उदासीन बने हुए हैं। साथ ही साथ उनमें दहशत भी बनी हुई है। वजह यह है की दोनों ही प्रत्याशी अपनी अपनी पार्टी में बेहद पावरफुल हैं और पार्टीजनों को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं। यही वजह है कि दोनों पक्षों के नेता और कार्यकर्ता स्वयं को सक्रिय बताने का दिखावा कर रहे हैं लेकिन हकीकत में दिल से चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं। ऐसे में शहर में चर्चा है, कि जिस भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव में निपटेगा, वह चुनाव के बाद चिन्हांकित पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुन- चुन कर निपटाएगा।

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