कोरबा का आई. टी. कालेज बंद होने की कगार पर, अमले के समक्ष बेरोजगार होने का खतरा


कोरबा 20 सितम्बर। जिले का एक मात्र इंजीनियरिंग कालेज बंद होने के कगार पर है। इसके साथ ही यहां कार्यरत करीब चालीस प्राध्यायकों, अधिकारियों कर्मचारियों के समक्ष बेरोजगार होने का खतरा आ उपस्थित हुआ है।
जनभागीदारी योजना के तहत सन् 2008 में स्थापित आई.टी. कालेज का संचालन एक सोसायटी के माध्यम से किया जाता है। इस सोसायटी में जिले के प्रमुख उद्योग भारत एल्युमिनियम कंपनी बालको, एनटीपीसी, सीएसईबी, एसईसीएल, लांको आदि सदस्य है। छ.ग.के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सोसायटी के पदेन अध्यक्ष हैं। सोसायटी में प्रभारी मंत्री, जिले के विधायक, उद्योगों के प्रमुख सदस्य है। जिले के औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने आई.टी. कालेज प्रारंभ करते समय वित्तीय सहायता की घोषणा की थी, लेकिन घोषित सम्पूर्ण राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया है, जिसके कारण संस्था वित्तीय संकट में आ गयी है। इसके अलावे वित्तीय संकट का दूसरा कारण सन् 2014-15 में इंजीनियरिंग में अरूचि के चलते छात्रों की संख्या में गिरावट आना है। संस्था में चार वर्षों की स्वीकृत संख्या 960 के विरूद्ध यहां केवल 135 छात्र-छात्राओं में अध्ययनरत है।
मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष 27 अगस्त 2019 को सोसायटी के शासी निकाय की बैठक हुई थी, जिसमें कालेज का वित्तीय संकट निपटाने के लिए जिला खनिज न्यास निधि (डी एम एफ)मद से अनुदान प्राप्ति के लिए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। जानकारी के अनुसार कालेज की वित्तीय स्थिति ऐसी है कि अगले दो तीन माह में प्राध्यापकों-अधिकारियों कर्मचारियों का वेतन भुगतान करना भी संभव नहीं होगा। वर्तमान वर्ष में विभिन्न मद में करीब पांच करोड़ रूपयों का व्यय संभावित हैं।

एक गंभीर मसला यह भी है, कि राज्य शासन ने आई.टी.कालेज परिसर में मेडिकल कालेज आरंभ करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। ऐसे में सवाल यह है कि आई.टी.कालेज को कहीं बंद तो नहीं कर दिया जायेगा? यदि कालेज बंद होता है कि यहां कार्यरत अमले का क्या होगा? इनमें से अधिकांश की तो शासकीय सेवा में भर्ती की भी उम्र खत्म हो गयी है। बहरहाल आई.टी.कालेज के संचालन के साथ इसके अस्तित्व को बनाये रखने के लिए भी प्रयास करने की आवश्यकता महसूस होने लगी है।

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