लोकसभा चुनावः गीतों के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश
कोरबा 15 मार्च। लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू होने में समय है। अधिसूचना की प्रतीक्षा करने से पहले जमीनी स्तर पर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने कोशिश तेज कर दी है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मजबूती से अपनी बात समझाने के लिए गीतों का सहारा लिया जा रहा है। ऐसे में क्षेत्र के कलाकारों के लिए यह चुनाव संजीवनी देने वाला बन रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों ने दूरदराज तक अपनी प्रत्यक्ष और परोक्ष पहुंच बनाने के लिए कई तौर-तरीके अपनाए हैं। प्रचार के लिए सीमित समय होता है। ऐसे में पार्टी का प्रत्याशी हर कहीं नहीं पहुंच सकता। उसका चुनाव चिन्ह जरूर पहुंच जाता है और वादे भी। उसकी फोटो पहुंचना भी मायने रखती है। वह कौन है और क्या कर सकता है, उसके सपने क्या हैं, यह सब बताने के लिए कई प्रकार के फार्मूले जरूरी होते हैं। छत्तीसगढ़ी और हिन्दी का विकल्प इसके लिए सबसे अच्छा बना हुआ है। रचनात्मक क्षेत्र में काम करने वाला वर्ग खासतौर पर चुनाव के सीजन में चुनावी विषय का चयन करने के साथ गीत लिखने में नैपुण्य प्राप्त कर लिया है। उसके पास इस तरह की क्षमता है जिसके जरिए काफी जल्दी में ऐसे गीतों की रचना की जाती है और फिर इन्हें संगीत के साथ स्वरबद्ध किया जाता है। कोरबा नगर के साथ-साथ अंचल में ऐसे गीतकारों और गायकों की खेप फिर से मौजूद है जो लोकसभा में प्रत्याशियों का बेड़ा पार करने का दावा कर रही है। खबर के मुताबिक उन्हें अच्छे ऑफर भी हैं। कई कलाकारों की डिमांड कोरबा के अलावा दूसरे संसदीय क्षेत्रों में भी है।
इसके साथ कला जत्थों और नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन करने वाले समूहों को भी काम मिलने शुरू हो गए हैं। पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों ने भरपूर मेहनत की और कमाई भी। उनका अनुभव है कि दूरदराज के इलाकों में गीत-संगीत और नाटक के साथ जो चीजें कही जाती हैं वे वोटर के दिल में उतरती है। लोग बताते हैं कि चुनाव के सीजन में दिमाग से कहीं ज्यादा दिल पर उतरने वाली चीजें मायने रखती है इसलिए प्रत्याशी भी इस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।