09 मार्च को पसान में सामूहिक निर्धन कन्या विवाहः आने-जाने और सामान लाने के लिए लगाना होगा धन

कोरबा 05 फरवरी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को विवाह बंधन में बांधकर उनकी समस्या हल करने का काम राज्य सरकार ने किया है। निर्धन कन्या विवाह योजना इसी का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत कोरबा जिले के सीमांत क्षेत्र पसान में 9 मार्च को यह आयोजन किया जा रहा है।

प्रशासन ने इसे निर्धन कन्या विवाह का नाम दिया जरूर है लेकिन जिस हिस्से में कार्यक्रम किया जा रहा है उससे एक बात तो तय है कि वहां तक जाने और आने के साथ-साथ सरकार की ओर से मिलने वाले सामान को लाने के लिए हितग्राहियों को अपना धन लगाना होगा। कुल मिलाकर उन्हें अतिरिक्त खर्च करना ही होगा। मामले में संबंधित क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी परेशानी झेलनी होगी।

माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही इस कार्यक्रम की रचना कोरबा सहित सभी जिलों के लिए की गई है। मंशा है कि पंजीकृत जोड़ों का विवाह कराने के साथ उन्हें लाभान्वित किया जाए। योजना के अंतर्गत सभी वर्गों के लिए यह कार्यक्रम है जिसमें उनके रीति-रिवाज के अंतर्गत विवाह संपन्न कराए जाएंगे। सरकार ने दाम्पत्य सूत्र में बंधने वाले जोड़ों को प्रोत्साहन राशि के अलावा गृहस्थी का काफी सामान देना भी सुनिश्चित किया है। बीते वर्षों में राज्य सरकार ने इस योजना का क्रियान्वयन करने के लिए जो नीति बनाई थी उसमें कई प्रकार के बदलाव किये गए ह हैं। कोरबा जिले के लिए लक्ष्य तय करते हुए अगली प्रक्रियाओं को पूरा कराया जा रहा है। जिले के पांच विकासखंडों से संबंधित अर्हता रखने वाले जोड़े पंजीकरण और विधिक शपथ पत्र के साथ इसमें शामिल होने के साथ-साथ लाभान्वित हो सकेंगे। सरकार की साोच खर्चीली शादियों से होने वाली चुनौती और आर्थिक रूप से अक्षम लोगों को एक विकल्प देने के लिए यह प्लेटफार्म उपलब्ध कराने का है। राज्य की भाजपा सरकार ने पिछले वर्षों में इस योजना पर काम किया है और हजारों कन्याओं के हाथ पीले कराए हैं। चूंकि चुनाव से ठीक पहले यह आयोजन हो रहा है इसलिए इसके निहितार्थ पर चर्चा भी शुरू हो गई है।

9 मार्च को पसान में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 90 किलोमीटर है जबकि जिले के दूसरे क्षेत्रों से यह दूरी अधिकतम 150 किलोमीटर तक की है। ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों से पंजीकृत हितग्राहियों, परिजनों और वहां के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पसान पहुंचने में न केवल दिक्कतें होंगीं बल्कि काफी धनराशि खर्च करनी होगी। माना जा रहा है कि स्थान का चयन करने को लेकर प्रशासन और विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। अगर कार्यक्रम कटघोरा में होता तो सभी क्षेत्रों के लिए यह केंद्र बिंदु होता और कई प्रकार की परेशानियों से बचा जा सकता था। इस मसले को लेकर आईसीडीएस की डीपीओ प्रीति खोखर चखियार से मोबाइल पर संपर्क किया गया लेकिन संवाद के अभाव में संबंधित जानकारी नहीं मिल सकी।

चार दिन बाद होने जा रहे जिला स्तरीय सामूहिक विवाह कार्यक्रम को लेकर हितग्राहियों व आंगनबाड़ी के सहयोगियों के खर्च कौन वहन करेगा, इसे लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति है। स्थिति साफ नहीं होने से यही लग रहा है कि शहरी या ग्रामीण क्षेत्र से वास्ता रखने वाले लोगों को अपने स्तर पर सुविधा का प्रबंध करने के साथ आयोजन स्थल तक पहुंचना होगा और वापस लौटना होगा। लोग सोच में हैं कि कहीं यह कार्यक्रम महंगा साबित न हो जाए।

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