कुसमुंडा साइडिंग में रेल रेक में जलते हुए कोयले का किया जाता है लदान,आगजनी की घटना से नहीं ले रहे सबक

कोरबा 11 सितम्बर। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कुसमुंडा परियोजना में आज फिर आग में जल रहे कोयले की ट्रांसपोर्टिंग की जा रही है और रेट में लोडिंग की जा रही है। जबकि आज शुक्रवार को ही कोरबा चांपा रेलखंड के सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन में कोयला से भरे दो रेक आग लगने की वजह से घंटों खड़े रहे और उनके डिब्बों में लगी आग को बुझाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी।

एस ई सी एल की कुसमुंडा कोयला खदान में संग्रहित कोयला भंडार में लंबे समय से आग लगी हुई है। दिखावे के लिए इस आग पर काबू पाने का प्रयास भी कुसमुंडा खदान प्रबंधन करता है। लेकिन लंबे समय बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। दरअसल एसईसीएल की कोयला खदानों के कोल स्टॉक में आग लगने की कुछ अलग ही कहानी होती है। कहा जाता है कि कंपनी के अधिकारी अपना ग्राफ ऊपर उठाने के लिए और आए दिन होने वाली कोयले की अफरा- तफरी पर पर्दा डालने के लिए कोल स्टॉक का मेजरमेंट होने से पहले इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं। क्योंकि कोल इंडिया के शीर्ष स्तर तक इन्हीं कारगुजारियों को से गुजर कर अधिकारी पहुंचे होते हैं इसलिए इस तरह की घटनाओं पर कभी कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की जाती।

बहरहाल आज शुक्रवार की सुबह कोरबा चांपा रेलखंड के सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन में दो रेक कोयले में आग लगी मिलने के बाद यह बात सामने आई के एसईसीएल के साइडिंग में ही रेक में आग लगी कोयले की लदान की जा रही है। लिहाजा सच्चाई से रूबरू होने के लिए न्यूज़ एक्शन ने गेवरा रेलवे स्टेशन के सामने ओल्ड कुसमुंडा साइडिंग का जायजा लिया। मौके पर पता चला कि कुसमुंडा खदान के कोयला स्टाक नंबर 28 से 250 का कोयला का परिवहन रेलवे साइडिंग तक किया जा रहा है। साथ ही आग से जलते हुए कोयले की रेलवे के रेट में लोडिंग की जा रही है। न्यूज़ एक्शन के पास उपलब्ध तस्वीरों में कोयला के स्टॉक में उड़ती हुई आग की लपटें साफ दिख रही है। कहना ना होगा कि रेल रेक में जलते हुए कोयले की लोडिंग के लिए एक और जहां एसईसीएल प्रबंधन जिम्मेदार है वहीं दूसरी ओर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का प्रबंधन भी कम जिम्मेदार नहीं है। एसईसीएल के अधिकारी अपने हित में कोल स्टॉक में आग लगाने से लेकर जलते हुए कोयले का रेक में लदान कराने तक कोई परहेज नहीं कर रहे हैं। लेकिन ऐसी गड़बड़ियों पर रेलवे प्रबंधन को रोक लगाने के लिए सतर्क रहना चाहिए। कहा जा सकता है कि रेल प्रबंधन अपने कर्तव्य का जिम्मेदारी के साथ निर्वहन नहीं कर रहा है। इसी वजह से आज शुक्रवार को दो रेक जलते हुए मिले थे। रात में रेल रेक में कोयला खदान के दौरान यही लापरवाही देखने में आई। अगर जलते हुए कोयले के परिवहन की वजह से कभी कोई बड़ा हादसा हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। भविष्य में कभी कोई बड़ी दुर्घटना ना हो इसके लिए जरूरी है कि शासन और प्रशासन स्तर पर एसईसीएल और रेलवे के संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

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