समान काम का समान वेतन को लेकर बीएमएस करेगा आंदोलन

कोरबा 08 अगस्त। विद्युत सुधार अधिनियम 2003 व विद्युत सुधार अधिनियम 2022 से बेरोजगारी के साथ ही उत्पादन व वितरण कंपनी में ठेका मजदूरों की संख्या बढ़ी है। ठेका मजदूरों को समान काम का सामान वेतन दिलाने, केंद्र सरकार से विद्युत की वर्तमान स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग को लेकर सितंबर से अक्टूबर तक आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।

भारतीय मज़दूर संघ से संबंध अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ का दो दिवसीय विस्तारित कार्यसमिति की बैठक केरल के एर्नाकुलम के भामसं कार्यालय में आयोजित की गई। इस दौरान वर्तमान विद्युत व्यवस्था से संबंधित अनेक विषयों पर चर्चा की गई। इसमें सभी प्रदेशों में इलेक्ट्रिसिटी कि वर्तमान व्यवस्था पर चर्चा की गई। छत्तीसगढ़ की बिजली व्यवस्था को लेकर विद्युत प्रभारी राधेश्याम जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बिजली की वर्तमान व्यवस्था कर्मचारियों की दृष्टि से बहुत ज़्यादा चरमरा गई है।इसके कारण छत्तीसगढ़ की तीनों कंपनियां अपने आप ही निजीकरण में चली गई है क्योंकि उत्पादन कंपनी में प्रबंधन ने 80 प्रतिशत तक के क्षेत्र को संचालन एवं संधारण के लिए निजी हाथों में दे दिया है।

उसी प्रकार पारेषण कंपनी को भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शत प्रतिशत निजी क्षेत्र में दे दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वितरण कंपनी भी स्मार्ट मीटर के माध्यम से कर्मचारियों की छंटनी करने का मन बना लिया गया है। वर्तमान में भी वितरण कंपनी के अधिकांश कार्य निजी क्षेत्र को दिया जा चुका है, इसलिए भामसं ने छत्तीसगढ़ की बिजली व्यवस्थाए निजीकरण के विरोध व बेरोजगारो को रोजगार दिलाने की मांग लेकर आने वाले समय में भामसं ने प्रदेश में व्यापक आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही बैठक में छत्तीसगढ़ से राधेश्याम जायसवाल, नवरतन बरेठ के अलावा अनेक पदाधिकारियों ने भाग लेकर आंदोलन को सफल बनाने का निर्णय के संकल्प लिया।

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