हाथियों के दल ने पांच स्थान में रौंदे 21 एकड़ में लगा थरहा, ग्रामीणों में भय का माहौल
कोरबा 07 अगस्त। कोरबा व कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत हाथियों केे दल ने एक ही दिन में पांच अलग-अलग जगहों 21 एकड़ खेत में लगे फसल थरहा व एक मकान को ध्वस्त कर दिया है। प्रभावित क्षेत्र पिछले दो दिनों से खेती का काम ठप है। ग्रामीणों में भय का माहौल देखा जा रहा रहा है। समय पर रोपा व बियासी का काम नहीं होने व उपज पर असर पडऩे की आशंका से किसान परेशान हैं।
कोरबा वन मंडल में जंगल की ओर चले गए 38 हाथियों की वापसी हो गई है। अलग.अलग जगहों में बंटे दल फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कचांदी के पास 12 हाथियों का दल पिछले दो दिनों मंडरा रहा है। रविवार को दल ने यहां आसपास के तीन एकड़ फसल को रौंद दिया है। रोपाई के लिए तैयार थरहा को रौंदने से किसानों के लिए फिर से बोआई की नौबत आ गई है। उधर कुदमुरा वन परिक्षेत्र के ग्राम चचिया में 13 हाथी ने डेरा डाल रखा है। वन परिक्षेत्राधिकारी जीएस पैकरा ने बताया कि हाथी जंगल की ओर चले गए थे। एक दिन पहले ही इनकी वापसी हुई है। क्षेत्र के दो एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया है। इसी तरह घोटमार के निकट विचरण कर रहे 13 हाथियों ने दो किसानों के दो एकड़ में लगे थरहा को रौंद दिया है। उधर कटघोरा केंदई वन परिक्षेत्र ग्राम लालपुर के निकट 17 हाथी के दल विचरण कर रहे हैं। वनपरिक्षेत्राधिकारी अभिषेक दुबे ने बताया कि हाथियों के दल छह एकड़ धान के फसल को रौंदकर नष्ट कर दिया हैं। इसी तरह पसान वन परिक्षेत्र ग्राम सेमराहा के निकट जंगल में 23 हाथियों दल ने डेरा डाल रखा है। दल ने तीन किसानों के आठ एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया है। अमले की कमी और अलग.अलग दलों में हाथियों के दल के बंटे होने के कारण वनकर्मी हाथियों के उत्पाद को नियंत्रित करने में नाकाम है।
नन्हे हाथियों के साथ होने से गांव के निकट विचरण कर रहे दल संवेदनशील हो गए हैं। पसान वनरिक्षेत्र सेमराहा के निकट विचरण कर रहे 23 हाथियों के दल पांच नन्हे हाथी शामिल है। वन परिक्षेत्र के अधिकारी की माने नन्हे हाथी साथ में होने के कारण दल जल्दी से स्थल नहीं बदलते। इसी तरह लालपुर के निकट विचरण कर रहे 17 में तीन नन्हे हाथी शामिल हैं। एक ही जगह में लंबी अवधि तक रूक थरहा फसल को नुकसान पहुंचा रहे है। हाथियों का लोकेशन जानने के लिए वन विभाग की ओ से तीन साल पहले दलों के कुछ हाथियों के गले में कालर आइडी लगाया था। मौसमी मार व आपसी द्वंद्व की वजह से से ये कालर आइडी नष्ट हो चुके है। लाखों खर्च कर लगाए कालर आइडी अनुपयोगी हो चंके हैंं। दलों की संख्या बढऩे और समय पर लोकेशन नहीं मिलने से ग्रामीण ही नहीं बल्कि जमीनी जस्तर पर काम करने वाले बीट गार्ड के लिए भी यह समस्या बनी है।
हाथियों से लोगों की सुरक्षा के लिए कोरबा वन मंडल के 13 गांवों में सजग एप लगाए गए हैं। जिस तरह हाथियों की संख्या बढ़ रही है और उनके आवागमन मार्ग में बदलाव हुआ उस लिहाज एप अनुपयोगी है। गेरांव में एप लगा है लेकिन उसके निकट गांव बताती में यह सुविधा नहीं है। ऐसे में बताती की ओर दल के पहुंचने की सूचना नहीं मिल पाती और ग्रामीण को फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है।