लाखों का गौठान योजना, सुविधाओं पर ध्यान नही
कोरबा 29 जुलाई। छत्तीसगढ़ की एक चिन्हारी, नरूवा, गरुआ, घुरुआ अउ बारी का नारा दे किसान एवं ग्रामवासियों के उत्थान हेतु पंचायत स्तर पर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित गौठान योजना अरदा पंचायत में उपेक्षित होकर अपना अस्तित्व खोने लगा है। सरपंच-सचिव और गौठान समिति की निष्क्रियता ने सरकार के इस अभियान पर पानी फेर दिया है। जिस वजह से गौठान की हालत बद से बदतर हो गई है।
यहां लाखों खर्च कर बनाया गया गौठान केवल कागजो में मजबूती से बनाया गया है। संचालित हो रहे जिस गौठान की हालत देख ग्रामीणों का इस योजना से मोह भंग होने लगा है। उन्होंने सरपंच. सचिव एवं गौठान समिति पर योजना में अनदेखी व लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुये कहा कि गौठान में मवेशियों हेतु चारे. पानी तक की व्यवस्था नहीं है। साथ मे वहाँ सुविधाओं की भारी कमी है। जिस वजह से ग्रामीणों ने गौठान से दूरी बना ली है। संबंधित अधिकारियों ने भी शायद इस योजना से मुँह फेर लिया है जो अरदा में संचालित गौठान को झांकने तक नही जाते। आलम यह है कि सरपंच. सचिव और गठित समिति गौठान के प्रति लापरवाह हो गये जिस वजह से शासन की यह महत्वाकांक्षी योजना अरदा में दम तोडऩे लगी है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने नरूवा, गरुवा, घुरूवा और बारी योजना के तहत ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने हेतु गौठान योजना शुरू की है। जिस योजना के तहत कटघोरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत अरदा में भी गौठान निर्माण कराया गया है। जिसके संचालन की जिम्मेदारी ग्राम में गठित गौठान समिति, पंचायत के सरपंच. सचिव को दी गई है। दरअसल गौठान निर्माण के पीछे सरकार की यह मंशा है कि ग्रामीणों को चराई से निजात दिलाने खुले मवेशियों को गौठान में रखा जाये और ग्राम पंचायत के माध्यम से उनके चारे. पानी का पूरा प्रबंध सहित घेराव करा गौठान को सुरक्षित रखा जा सके। ताकि गौठान में आने वाले मवेशियों के गोबर से गैस एवं अन्य उत्पाद का निर्माण सहित कुक्कुट पालन करा ग्रामीणों के लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जा सके। जिससे किसानों का भविष्य संवर सके और उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सके। लेकिन भूपेश सरकार की महत्त्वकांक्षी ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्राम पंचायत अरदा ने पलिता लगा दिया है। जिसका हाल क्या है ऊपर के तस्वीरों को देख कर समझा जा सकता है। गौठान निर्माण में लाखों खर्च तो किये गए है लेकिन मवेशियों के खाने के लिए पैरा तक नही है। पौधारोपण तो हुआ है किंतु पौधों की सुरक्षा के लिए जाली तार से निर्मित घेरा इधर-उधर बिखरे पड़े है और रोपित पौधे देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहे है।