भू-विस्थापितों का एनटीपीसी प्रबंधन कर रहा शोषण: भू-विस्थापित
24 जुलाई से एनटीपीसी गेट पर ताला बंद कर करेंगे प्रदर्शन
कोरबा 23 जुलाई। एनटीपीसी-कोरबा प्रबंधन के खिलाफ भू-विस्थापितों के द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल 22 अप्रैल से जारी है। 92 दिन होने के बाद भी नौकरी, मुआवजा और शेष भूमि की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किये जाने पर प्रबंधन अभी तक गंभीर नहीं हुआ है। प्रभावित भू-विस्थापितों ने मांग पूरी नहीं होने पर अब परिवार के साथ संयंत्र गेट पर तालाबंदी कर उग्र आंदोलन का निर्णय लिया है। 24 जुलाई से एनटीपीसी के गेट पर ताला लगाकर उग्र आंदोलन व विरोध प्रदर्शन करेंगे। एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन के द्वारा ग्राम चारपारा के लोगों को नौकरी मांगने पर गुमराह किया जाता है और रिक्तियां नहीं कहा जाता है। ग्राम चारपारा के भू-विस्थापितों को एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा शोषण किया जा रहा है। तालाबंदी में ग्राम चारपारा के 7 भू-विस्थापित द्वारा राजन कुमार पटेल, गणेश कुमार केंवट, घसियाराम केंवट, सुरज कुमार केंवट, रामायण प्रसाद केंवट, मथुरा राम केंवट, दयालिक विश्वकर्मा एवं अन्य समस्त भू-विस्थापितों के द्वारा उग्र आंदोलन व विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।
उक्त बातें टीपी नगर स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान पीडि़त भू-विस्थापितों ने कही। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तब तक उग्र आंदोलन जारी रहेगी। एनटीपीसी कोरबा द्वारा सन् 1978-79 में ग्राम चारपारा, गेरवा, दर्रीखार, नगोईखार, टांगामार गांवों की जमीन 2000 मेगावाट विद्युत ताप परियोजना के लिए अधिग्रहण की थी। जिसमें ग्राम चारपारा व गेरवा संपूर्ण भू-विस्थापित ग्राम है। अधिग्रहण जमीन के एवज में 04 सितंबर 1979 में लिखित आम सूचना जारी किया गया था और आम सूचना दिनांक 4 सितंबर 1979-22 जनवरी 1981 व 12 फरवरी 1987 में जारी किया गया है। एनटीपीसी के द्वारा नौकरी के लिए दिनांक 10 अप्रैल 1983 में 40 लोगों की लिस्ट निकाली गयी, परन्तु एनटीपीसी प्रबंधन व राज नेताओं के द्वारा विश्वासघात कर लेटर को दबा दिया गया। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी कोरबा द्वारा भू-विस्थापितों के 300 परिवार में से मात्र 38 परिवार के सदस्यों को एनटीपीसी कोरबा में नौकरी दी गई है, जिसमें 14 लोगों को सहकारी समिति ठेका कार्य दिया। 248 शेष परिवार के सदस्यों को प्लांट का विस्तार करने के बाद भी नौकरी प्रदान नहीं किया गया। एनटीपीसी प्रबंधक द्वारा न्यायालय भू-अर्जन अधिकारी द्वारा ग्राम चारपारा व अन्य चार गांवों के प्रत्येक लोगों को नौकरी प्रदान किया जायेगा लिखा गया है। जैसे-जैसे प्लांट का विस्तार बढ़ता जायेगा वैसे-वैसे आप लोगों को नौकरी प्रदान किया जायेगा यह लिखित में दिया गया है। ग्राम चारपारा के भू-विस्थापितों ने राष्ट्र के विकास के लिए अपनी खेती योग्य भूमि एवं आवासीय भूमि प्रदान की है। बिलासपुर भू-अर्जन अधिकारी द्वारा दो प्रकरण में मुआवजा प्रदान किया गया है। इसके पश्चात बची शेष भूमि न्यायालय भू-अर्जन अधिकारी कोरबा द्वारा 10 प्रकरण का अवार्ड जारी किया गया था, जो कि ग्राम चारपारा की भूमि 950 एकड़ भूमि से अधिक है और अवार्ड का आज दिनांक तक राज पत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ है और न ही उनका मुआवजा मिला है।
भू-विस्थापितों ने कहा कि जिला प्रशासन व एनटीपीसी प्रबंधन के द्वारा न ही सूचना दिया गया और न ही आज दिनांक तक मुआवजा दिया गया। उन्होंने कहा कि शेष भूमि और आम सूचना के द्वारा क्षतिपूर्ति, मुआवजा व नौकरी की मांग को लेकर उग्र आंदोलन जारी रखेंगे। प्रेस वार्ता में भाकपा के पी के वर्मा और माकपा जिला सचिव प्रशांत झा सहित अन्य मौजूद रहे।