लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण, बसावट, जमीन वापसी की मांगो पर 25 जुलाई को एसईसीएल कुसमुंडा कार्यालय के महाघेराव के साथ होगा खदान बंद
किसान सभा ने कुसमुंडा महाप्रबंधक को सौंपा ज्ञापन, अधिकार मांगने का नहीं छीनने का समय आ गया है : प्रशांत
कोरबा 22 जुलाई। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट, खमहरिया की जमीन किसानों को वापस करने,बसावट एवं प्रभावित गांव में मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ 9 सूत्रीय मांग को लेकर कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर कुसमुंडा महाप्रबंधक संजय मिश्रा को ज्ञापन सौंपते हुए 25 जुलाई को कुसमुंडा कार्यालय के महाघेराव के साथ खदान के महाबंद की चेतावनी दी है।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं अब अपने अधिकार को छिन कर लेने का समय आ गया है। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40.50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है।विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 626 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान 40 वर्षों से जिस जमीन पर खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है। किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है।
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू-विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।एसईसीएल कुसमुंडा कार्यालय के सामने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान एकजुट हुए भू विस्थापितों ने कहा की 25 जुलाई को कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के महाघेराव और खदान बंद आंदोलन में प्रभावित गांव के हजारों पीडि़त भू-विस्थापित परिवार सहित शामिल होंगे। इस महाघेराव को गेवरा दीपका के भी भू-विस्थापितों ने अपना समर्थन दिया है। इस बार समस्याओं के समाधान तक अनिच्छित कालीन घेरा डालो डेरा-डालो आंदोलन होगा।प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से मोहनलाल यादव, हरिहर, बृजमोहन, हेमलाल, जितेंद्र,अनिल बिंझवार, कृष्णा,मानिक दास,फणींद्र,नरेंद्र,आनंद,चंद्रशेखर के साथ प्रभावित भू विस्थापित उपस्थित थे।
मांगे:-पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों के तत्काल निराकरण के संबंध में जिन भू विस्थापितों का फाईल बिलासपुर मुख्यालय में हैं उन्हें दस दिवस के अंदर रोजगार प्रदान किया जाए। भू विस्थापित जिनकी जमीन सन् 1978 से 2004 तक अर्जन की गई है उन प्रत्येक खातेदार की रोजगार संबंधित प्रक्रिया पूरी कर एसईसीएल मुख्यालय भेजा जाए। भू विस्थापित जिन्होंने नामांकन के लिए आवेदन किया है उन्हे तत्काल नामांकन फार्म दिया जाए। जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और कि जा रही है;खोडरीएपालीए जटराजद्ध गांव के सभी छोटे बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाये। बरपालीएगेवरा के शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा प्रदान किया जाये। अधिग्रहित ग्रामों को पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित ग्राम खमहरिया के मूल किसानों को जमीन वापस किया जाये। एसईसीएल में आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापित परिवार के बेरोजगारों को 100: रोजगार में रखा जाये। प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाये। पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये। भैसमाखार, मनगांव,वैशालीनगर समेत पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाये।