कोरोना काल के साइड इफेक्ट से जूझ रहे छात्रों के हित में भाजपा नेता पेशीराम ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

पेशीराम जायसवाल

वर्तमान शैक्षणिक सत्र में अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए विशेष परीक्षा, पूरक आए छात्रों के लिए पूरक परीक्षा के शीघ्र आयोजन की रखी मांग

बिलासपुर 26 जून। भाजपा नेता पेशीराम जायसवाल ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों द्वारा शैक्षणिक सत्र 2022-23 में आयोजित परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए विशेष परीक्षा व पूरक आए छात्रों हेतु पूरक परीक्षा के शीघ्र आयोजन की मांग की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के प्रावधानों में आवश्यक संशोधन करते हुए पुनर्गणना/पुनर्मूल्यांकन तथा पूरक परीक्षा में अभ्यर्थियों के सम्मिलित होने संबंधी नियमों में बदलाव करने की भी मांग की है।

अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि कोविड-19 संक्रमण तथा लॉकडाउन के कारण शैक्षणिक सत्र 2019-20, 2020-21 तथा 2021-22 में छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन/ब्लेंडेड मोड में परीक्षाएं आयोजित की गई थी। लगातार तीन वर्षों तक ऑनलाइन मोड में परीक्षाओं के आयोजन होने के कारण अभ्यर्थियों की पुराने तरीके से परीक्षा देने व उत्तर लिखने की आदत छूट गई। जिसके कारण वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2022-23 में आयोजित स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाओं में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी या तो अनुत्तीर्ण हो गए हैं या पूरक आए है। इस कारण आगामी सत्र में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों हेतु उपलब्ध सीटों हेतु छात्र नहीं मिल पाएंगे। साथ ही महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग भी प्रभावित होगी।

इन समस्याओं को देखते हुए छात्र हित में भाजपा नेता पेशीराम ने 6 सूत्रीय मांग अपने पत्र के माध्यम से रखी है। उन्होंने वर्तमान शैक्षणिक सत्र में आयोजित स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण छात्रों के लिए विशेष परीक्षा तथा पूरक आए छात्रों के लिए पूरक परीक्षा का आयोजन यथाशीघ्र करने व परीक्षा के परिणाम परीक्षा संपन्न होने के 15 दिवस के भीतर घोषित करने की मांग की है। इसके अतिरिक्त एक से अधिक विषयों में अनुत्तीर्ण अभ्यर्थी जिन्हें अध्यादेश 5 व 6 अनुसार पूरक परीक्षा में भाग लेने तथा पुनर्गणना/पुनर्मूल्यांकन की पात्रता नहीं है, उन्हें छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अध्यादेश तथा प्रावधानों में संशोधन करते हुए पूरक परीक्षा में भाग लेने तथा पुनर्गणना/पुनर्मूल्यांकन की पात्रता प्रदान की जाए। उन्होंने कार्य परिषद व विद्या परिषद की आपात बैठक आहूत कर इस आशय के संशोधन करने हेतु विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिव को निर्देशित किए जाने का निवेदन किया है।

बता दें कि पेशीराम जयसवाल छात्र हित के विभिन्न मुद्दों को लेकर हमेशा से मुखर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर खुद को छात्र राजनीति का ठेकेदार समझने वाले एबीवीपी व एनएसयूआई जैसे संगठनों की इस विषय पर चुप्पी संशय का विषय है। ऐसा प्रतीत होता है कि छात्र संगठनों की राजनीति अब केवल ज्ञापन देकर फोटो खींचाने और सोशल मीडिया में अपनी छवि चमकाने तक ही सीमित रह गई है। दिखावे के इस शोर-शराबे में पेशीराम जायसवाल छात्र हित में संघर्ष के विशुद्ध स्वर बने हुए हैं।

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