गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग: किसान सभा ने किया विरोध, चेतावनी के साथ प्रभावित गांवों में बैठकों का दौर शुरू
कोरबा 05 जून। एसईसीएल के अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार नाराजगी बढ़ते जा रही है। इसका असर अब खदान विस्तार पर भी पडऩे लगा है। मेगा परियोजना गेवरा ओपनकास्ट का विस्तार किया जाना है और इसके लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके पहले ही क्षेत्र में विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने गेवरा खदान के क्षमता विस्तार के लिए होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि पहले अधिग्रहित की गई भूमि पर भू-विस्थापितों के लंबित रोजगार, मुआवजा, बसावट समेत अन्य समस्याओं का निराकरण किया जाए। साथ ही खनन के कारण बढ़ते प्रदूषण और गिरते जल स्तर की समस्या को प्राथमिकता से हल करे। विरोध करने के लिए गांवों में बैठक का दौर शुरू हो गया है।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्डिस लिमिटेड एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट खदान परियोजना की क्षमता 490 लाख टन वार्षिक से बढ़ाकर 700 लाख टन किया जा रहा है। इसके कारण इस परियोजना का रकबा 4184.486 हेक्टेयर से बढ़ाकर 4781.798 हेक्टेयर किया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई आयोजित की जा रही है। छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा कि कोरबा देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है और लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
बावजूद एसईसीएल स्वास्थ्य शिविरों और विस्थापित परिवारों को इलाज की कोई सुविधा नहीं देती हैं और कोयला उत्पादन से मिलने वाले डीएमएफ फंड को अन्य क्षेत्र में खर्च किया जाता है, इससे प्रभावितों को कोई लाभ नहीं होता। भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने आरोप लगाया है कि पूर्व में खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बाद भी भू-विस्थापित रोजगार व बसावट के लिए भटक रहे हैं और अपने अधिकार को पाने के लिए लंबी लड़ाई लडऩे को मजबूर हैं। किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि खदान विस्तार से छोटे किसान अपने आजीविका से वंचित हो जायेंगे। इन छोटे खातेदारों को रोजगार नहीं देने की नीति एसईसीएल ने बना रखी है। इसलिए खदान परियोजना विस्तार का समर्थन नहीं किया जा सकता। किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने खदान प्रभावित गांव में बैठक लेकर ग्रामीणों को जागरुक करना शुरू कर दिया है। साथ ही कहा है कि यदि पर्यावरण जन सुनवाई को स्थगित नहीं किया जाता, तो इस क्षेत्र की जनता का विरोध एसईसीएल को झेलना पड़ेगा।
किसान सभा ने कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार कोरबा का औद्योगिक क्षेत्र देश का तीसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र है। यहां का प्रदूषण सूचकांक 69.11 दर्ज किया गया है, जिसके कारण यहां की आबादी का 12 प्रतिशत हिस्सा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और त्वचा रोग जैसी बीमारियों से जूझ रहा है। एसईसीएल ने आज तक पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किसी भी गाइड लाइन का पालन नहीं किया है। इसलिए पहले पर्यावरण और इस क्षेत्र के रहवासियों के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।