प्रभावित भू-विस्थापितों ने नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने किया धरना प्रदर्शन

कोरबा 03 जून। एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना प्रबंधन ने एक दर्जन से भी अधिक गांवों के जमीन को कोयला उत्खनन के लिए अधिग्रहित किया। विस्थापन में बाद 10 से 15 साल बीत जाने के बाद भी प्रभावितों का नौकरी और मुआवजा से वंचित रखा गया है। प्रबंधन प्रत्येक भू -विस्थापितों को नौकरी प्रदान करे।

इस आशय की मांग को लेकर कुसुंडा परियोजना के प्रभावित ग्रामीणों में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। चिलचिलाती धूप में भी ग्रामीण अपनी 18 सूत्रीय मांगों को मनवाने के लिए कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर डंटे। लगभग 500 की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने आधे घंटे तक सड़क जाम रखा। ग्रामीणों के प्रदर्शन से आवागमन बाधित रही। ग्रामीणों ने जिन 18 सूत्रीय मांगों का उल्लेख किया है उनमें कोल इंडिया की पालिसी 2012 को रद्द करने की मांग की गई। प्रत्येक गांव के खातेदारों को नौकरी देने मांग सर्वोपरि है।

ग्राम जटराज में डंपिंग यार्ड से पट चुके खेतों के प्रभावितों को पुनर्वास नीति के तहत रोजगार प्रदान किया जाए। ग्राम रिसदी, खोडरी, पड़निया सोनपुरी आदि की भूमि का मुआवजा वर्तमान दर 2022-23 के अनुसार दिया जाए। बसाहट के लिए न्यूनतम 15 डिसमिल भूमि प्रदान किया जाए। बसाहट पूरा होने व रोजगार मिलने के बाद ही मुआवजा दिया जाए ताकि राशि का प्रभावित सदुपयोग कर सकें। प्रभावितों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। पुलिस प्रशासन की ओर से प्रदर्शनकारियों को समझाइस दी जाती रही। आधे घंटे से भी अधिक समय तक प्रदर्शन के बाद भू-विस्थापितों ज्ञापन पत्र अपर कलेक्टर को सौंपा।

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