बच्चों को संस्कार देने की पाठशाला है परिवार: पं.शुक्ला
कोरबा 19 मई। शारदा विहार वार्ड के अमरैयापारा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिवस व्यासपीठ पर आसीन पं.अनिल शुक्ला ने कई प्रसंगों को रखा और इनके माध्यम से समाज को संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि बच्चों में वास्तविक संस्कार की शुरूआत उसके घर व परिवार से होती है। उसके व्यवहार में माता पिता के दीक्षा और शिक्षा का असर शुरू होने लगता है।
आचार्य ने भागवत के कथा के अंतर्गत धु्रव चरित्रए पृथुनाथ व जड़भरत प्रसंग पर व्याख्यान किया। उन्होने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा कि विद्यालय में दाखिल लेने वाले प्राथमिक कक्षा के बच्चे से अधिक उसके बस्ते का बोझ होता है। भौतिकवादी शिक्षा के फेर में वह माया के वशीभूत शिक्षा के तनाव में आधी जीवन को व्यतीत कर देता है। शिक्षा पूरा होने के उसके दिमाग नौकरी की चिंता सताने लगती है। योग्य काम नहीं मिलने पर विवाह के लिए कन्या की समस्या खड़ी होती। उन्होनेे कहा कि भागवत कथा में ध्रुव चरित्र से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिस तरह से मां की शिक्षा से ध्रुव ने कम आयु में ईश्वर को प्राप्त कर लिया। उसी तरह बच्चों जीवन यापन के लिए ही नहीं बल्कि आध्यात्म की भी शिक्षा देनी चाहिए। कथा आयोजन को लेकर गुप्ता परिवार से सहित क्षेत्र वासियों में उल्लास देखा जा रहा है। अगले दिवस प्रहलाद, वामन, राम चरित्र व कृष्ण जन्मोत्सव कथा का व्याख्यान किया गया। आयोजकों ने बताया कि 20 मई को रुक्मणी मंगल प्रसंग के अंतर्गत विशेष आयोजन होगा। इसके लिए आवश्यक तैयारी की जा रही है।