इंटक की राशि मामले में गबन का आरोप, संजीवा रेड्डी समेत चार पर मामला दर्ज

कोरबा 8 मई। जिले के बालकोनगर थाना में इंटक नेताओं के खिलाफ एक और धोखाधड़ी से संबंधित एफ आईआर दर्ज हुई है। इस एफआईआर में इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.जी. संजीवा रेड्डी का भी नाम है। पिछले कुछ दिन से इंटक नेताओं की ग्रह दशा बदली हुई है। उनके खिलाफ लगातार शिकायतें और एफआईआर दर्ज हो रही हैं। इससे इंटक में खलबली मची हुई है। यह एफआईआर क्र. 0298 बीते 6 मई को इंटक से संबद्ध भारत एल्यूमिनियम मजूदर संघ के पूर्व उपमहासचिव नरेन्द्र तिवारी की लिखित शिकायत पर दर्ज की गई है।

इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संबद्ध यूनियन भारत एल्यूमिनियम मजूदर संघ के प्रबंध कार्यकरिणी अध्यक्ष जी.संजीव रेड्डी, राष्ट्रीय महासचिव, छत्तीसगढ़ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एवं भारत एल्यूमिनियम मजूदर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष, युवा इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एवं भारत एल्यूमिनियम मजूदर संघ के महासचिव जयप्रकाश यादव, संघ के कोषाध्यक्ष रमेश जांगड़े को एफआईआर में आरोपी बनाया गया है। चारों के खिलाफ धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज हुआ है। इसे पहले भी बालको थाना में संजय सिंह और जयप्रकाश यादव के खिलाफ नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का अपराध दर्ज है। इस मामले में दोनों इंटक नेताओं की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। नरेन्द्र तिवारी ने लिखित शिकायत में बताया है कि भारत एल्यूमिनियम मजूदर संघ के बैंक खाता के संचालन के लिए डॉ.जी संजीवा रेड्डी एवं संजय सिंह द्वारा जयप्रकाश यादव, रमेश जांगड़े, नरेन्द्र तिवारी को अधिकृत किया गया था। इनमें से किसी भी दो पदाधिकारी द्वारा बैंक से राशि का आहरण किया जा सकता था। शिकायत के अनुसार नरेन्द्र तिवारी को जानकारी दिए बगैर जयप्रकाश यादव, रमेश जांगड़े द्वारा विगत छह साल से बैंक से राशि आहरित की गई। पूछे जाने पर बताया किया कि कार्यकारी अध्यक्ष संजय सिंह के कहने पर आहरण किया गया है। नरेन्द्र तिवारी द्वारा राशि आहरण से संबंधित जानकारी तथा पंजीयक को प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त कर उसका अध्ययन किया गया। इसमें कई वित्तीय अनियमितता पाई गई। बैंक से आहरित की गई राशि और ऑडिट रिपोर्ट में भिन्नता मिली। ऑडिट रिपोर्ट भी कूटरचना कर तैयार किया जाना पाया गया। नरेन्द्र तिवारी ने अपनी शिकायत में उदाहरण दिया है कि संघ कार्यालय में नियोजित कर्मचारियों का वेतन बालको की ठेका कंपनी की ओर से प्रदान किया जाता है, लेकिन ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार संघ द्वारा यह भुगतान दिखाया गया। नरेन्द्र तिवारी ने अपनी शिकायत में और भी गड़बड़ी उजागर की है।

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