लावारिस स्थिति में मिले 81 मोबाइल व एक लैपटॉप, आईएमईआई नंबर से होगी जांच
कोरबा 07 मई। बरपाली मोहल्ला में पुलिस ने लावारिस स्थिति में 81 मोबाइल के साथ एक लैपटॉप भी जब्त किया है। आईपीसी की धारा 102 के अंतर्गत इनकी जब्ती बनाई गई है। मामले को लेकर रहस्य बना हुआ है। आखिर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है। यह जानने के लिए पुलिस इन सभी इलेक्ट्रानिक सामानों का आईएमईआई नंबर निकालने के साथ जांच करेगी।
कोरबा जिले के कुसमुंडा क्षेत्र से यह मामला जुड़ा हुआ है। टीआई कृष्ण कुमार वर्मा ने बताया कि यहां के बरपाली मोहल्ला से मिली सूचना पर पुलिस की टीम वहां पहुंची। एक स्थान पर यहां से नए और पुराने 81 मोबाइल मिले। एक लैपटॉप भी इनमें शामिल हैं। कहां से इनकी उपस्थिति यहां हुई और किसके द्वारा इस काम को किया गया, यह ज्ञात नहीं हो सका। लेकिन एक साथ इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल और लैपटॉप को फेकें जाने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस ने बताया कि प्रथम दृष्टि में यह सामान लावारिस प्रतीत होता है इसलिए इसे 102 में जब्त किया गया है। पता चलना बाकी है कि किसी खास वजह से इन्हें एक जगह पर फेंका गया अथवा फिर चोरी चकारी करने और मामले में पकड़े जाने के डर से यह सब करना पड़ा। कुसमुंडा पुलिस ने मामला रजिस्टर्ड करने के साथ अब आगे जांच की प्रक्रिया बढ़ाई है। बताया गया कि संबंधित मोबाइल और लैपटॉप किसके नाम पर क्रय किये गए थे और इन्हें ऑपरेट किया जा रहा थाए यह स्पष्ट करने के लिए आईएमईआई नंबर के माध्यम से जानकारी हासिल की जाएगी। इस सिलसिले में आगे जानकारी को सार्वजनिक किया जाएगा ताकि संबंधित लोग हमारे पास पहुंच सके। पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर वास्तविकता सामने आ सकेगी।
इससे पहले जिले मेें पुलिस के द्वारा कई मौकों पर चोरी अथवा गुम हुए मोबाइल की तलाश करने के साथ विशेष कार्यक्रम आयोजित कर पीडि़तों को उनके मोबाइल वापस किये गए। लाखों के मोबाइल की वापसी के लिए पुलिस कई प्रकार के तौर-तरीके अपनाती है।दावा किया जाता रहा है कि पुलिस और साइबर तंत्र के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अनेक राज्यों तक पहुंच चुके गुम हुए मोबाइल को कोरबा लाने का साहसिक काम पुलिस ने किया है। कारण चाहे जो हो लेकिन देश भर में मोबाइल के कहीं से भी चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस सिर्फ उनके गुमने की सूचना लेती है और इसी आधार पर आगे कार्रवाई करती है। इसके पीछे का गणित आज तक न तो बताया गया है और न ही कोई समझ सका है। यह बात और है कि ऐसे मामलों में सूचना प्राप्त होने के बाद आगे कदम बढ़ाए जाते हैं। अनेक मामलों में पार हुए मोबाइल मिल जाते हैं। जबकि कुछ मामलों में लोगों को निराशा हाथ लगती है।