जल विवाद मामले में 40 सदस्यों की टीम कोरबा पहुंची, कई पहलुओं पर होगा काम
कोरबा 01 मई। महानदी जल विभाग के मसले को लेकर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में काफी समय से ठनी हुई है। सेंट्रल वॉटर डिस्प्यूट्स ट्रिब्यूनल की टीम इस मामले में निराकरण को लेकर जुटी हुई है। 40 सदस्यों वाली टीम का आज कोरबा जिले में आगमन हुआ। इसमें उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के अलावा कई अधिकारी शामिल हैं। मूल रूप से कोरबा जिले के बांध और बैराज सहित कई संसाधनों का दौरा यह टीम करेगी। इसके साथ कई पहलुओं पर भी काम किया जाएगा।
विभिन्न राज्यों में काफी समय से बने हुए जल विभाग के मामलों को निपटाने के लिए केंद्रीय जल विवाद न्यायाधिकरण बीते वर्षों में अपना काम करता रहा है। महा नदी जल विवाद का स्थाई समाधान खोजने के लिए सरकार ने इसे जिम्मेदारी दी है। छत्तीसगढ़ से निकलकर उड़ीसा की तरफ जाने वाले महानदी के पानी को लेकर काफी समय से विवाद के कारण बने हुए हैं और इसकी अधिकारिता पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। सरकार ने पिछले चार दशक से बढ़ते विवाद और शिकायतों के बीच 40 सदस्यों की टीम को 4 दिन के दौरे पर प्रारंभिक चरण में कोरबा जिले के दौरे पर भेजा है। सूचनाओं में कहा गया है कि ओडिशा सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में बीते वर्षों में याचिका दायर की गई है और पानी के निर्दिष्ट उपयोग को लेकर अपना पक्ष रखा गया है। जबकि छत्तीसगढ़ अपनी तरह से महानदी और इसके जल संसाधन पर स्वाभाविक रूप से अधिकार जताता रहा है। ईसके पीछे उसके अपने तर्क है। पूरे मामले को समझने और इसके अध्ययन के बांध ट्रिब्यूनल की टीम ने प्रदेश में 18 अप्रैल से दौरा शुरू किया है इसके अगले चरण में 30 अप्रैल से बिलासपुर संभाग के दौरे पर टीम सक्रिय हुई है इसके अंतर्गत कोरबा जिले में हरदेव पर आधारित जल संसाधनों का निरीक्षण करने के लिए टीम के सदस्य बांगो पहुंचे।
निरीक्षण के दौरान कोरबा के कलेक्टर संजीव झा, जल संसाधन विभाग हसदेव ब्रांच संभाग के अधीक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता के अलावा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बताया गया कि इस टीम को आगामी दिनों में रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले का दौरा भी करना है। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान कई बिंदुओं पर जलसंपदा से जुड़े पक्षों का अध्ययन किया जाएगा और इस आधार पर आगामी दिनों में महा नदी जल विवाद को हर हाल में निराश्रित करने का प्रयास किया जाएगा।