गारेपेलमा कोल माइंस की ट्रांसपोर्टिग में घोटाले को लेकर विधानसभा में हंगामा
रायपुर 23 मार्च। रायगढ़ के गारेपेलमा कोल माइंस की ट्रांसपोर्टिग में कथित घोटाले को लेकर बुधवार को छत्तीसगढ़ विधान सभा में जमकर हंगामा हुआ। भाजपा ने जांच की मांग को लेकर दबाव बनाने सदन से वाक आउट कर दिया। इस दौरान विधानसभा में कोल माइंस की ट्रांसपोटिंग में करोड़ो का घोटाला होने के भी आरोप लगे हैं।
विधानसभा में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने रायगढ़ के गारे पेलमा कोल ट्रांसपोर्टेशन के रेट व टेंडर में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ट्रांसपोर्टेशन के लिए दोगुने दर पर टेंडर दिया गया है। एस ई सी एल का जो रेट है उससे कहीं ज्यादा रेट दिया जा रहा है। अतिरिक्त पैसा कहां जा रहा है ? इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिफर पड़े। उन्होंने कहा यह सब आपकी सरकार ने तय किया था किलो मीटर के हिसाब से ट्रांसपोर्टेशन के रेट तय किए गए है। पिछली सरकार में टेंडर किया गया और नियम बनाया गया था। उस समय गाईड लाईन के हिसाब से परिवहन क्यों नही किया गया? 2017 में ऐसा क्यों नहीं किया? उस समय तो आप ही मुख्यमंत्री थे, तब आपने नियम क्यों नही बनाया? उसी व्यवस्था के तहत खदानों के अलग अलग रेट आते है। रमन सिंह ने कहा- इसके लिए एसईसीएल ने नोटिफिकेशन जारी किया है। कोल ट्रांसपोर्टिंग के लिए एस ई सी एल माप दंड तय करता है। जब गाईडलाईन तय हो चुकी है तो छ.ग. रेट तय क्यों करेगा? नए रेट में प्रति मैट्रिक टन 210 रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त वसूली हुई है। करोड़ो की गड़बड़ी ट्रांसपोर्टिंग का रेट बढ़ाकर की गई है। इन टेंडरो को निरस्त किया जाना चाहिए। सीएम भूपेश बघेल ने कहा- ये सब केमिकल लोचा है। एसईसीएल कई सालो से चल रहा है और नियम भी पहले से बने हुए है। अलग अलग जगह का अलग-रेट है। दूरी के हिसाब से किलो मीटर तय होता है। आपने नियम बनाया होता तो टेंडर ही क्यों निकाला जाता? इस पर डा. रमन सिंह ने विधायकों की कमेटी से इसकी जांच कराए जाने की मांग की, लेकिन भूपेश बघेल अपनी बात पर अड़े रहे।211 रुपये के रेट में परिवहन होता ही नहीं। शर्ते और नियम तो आपके ही बनाये हुए है। इस पर रमन सिंह ने सरकार को फिर घेर लिया, कहा- जब इतना बड़ा मामला है तो जांच क्यों नहीं कराते? अभी 466 रुपये के रेट में यहां टेंडर दिया गया है, जबकि 232 रुपये के रेट में कोई भी ट्रांसपोर्टिग करने तैयार हो जाएंगे। सरकार का कहना था रेट टेंडर के जरिये तय हुआ है। इस में 8 कंपनियो ने भाग लिया था जिसमे 4 लोगो ने टेंडर भरे थे। उसमें 2 ही पात्र पाए गए और 2 अपात्र थे। पूरी प्रक्रिया ऑन लाइन हुई थी। देश भर के अखबारों में टेंडर नोटिस का प्रकाशन किया गया था। फिर कहां गड़बड़ी हो गई ? इनके मन में गड़बड़ी है तभी मैं कह रहा हूं केमिकल लोचा है। सारा काम पारदर्शी तरीके से हुआ है। सदन में इस को लेकर खुली चर्चा कराने की मांग की गई किंतु सीएम ने किसी तरह की जांच से इंकार कर दिया। भाजपा विधायकों की जांच कमिटी से जांच कराने पर अड़ी रही तो सरकार व विपक्ष में जमकर बहस हुई और सदन में हंगामा मच गया जिसके बाद भाजपा विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।