कोरबा 6 मार्च। जिले के आदिवासी बाहुल्य गांवों में त्योहार के साथ ही होली पर्व मनाने को लेकर अलग.अलग परंपरा है। इसे गांव के युवा आगे भी जारी रखने के पक्ष में हैं। करतला ब्लाक के ग्राम पंचायत जोगीपाली में तो सोमवार को ही त्योहार मनाने की परंपरा है। इस वजह से होलिका दहन रविवार रात को किया गया। सोमवार को यहां रंग गुलाल खेलकर होली पर्व मनाया जाएगा।

जोगीपाली की आबादी करीब 500 है। यहां मांझी और राठिया आदिवासी समाज की बहुलता है। यहां के ग्रामीण रविवार से ही होली पर्व की खुशियां मनाने में जुट गए हैं। गांव के युवा खोलबहरा मांझी व संतराम राठिया ने बताया कि लोग सोमवार को त्योहार मनाना शुभ मानते हैं। यह परंपरा 110 साल पहले से चली आ रही है। आदिवासी बाहुल्य गांव में रविवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार व शनिवार को अगर कोई त्योहार पड़ रहा है, तो सोमवार के दिन ही पर्व मनाते हैं। इस बार होलिका दहन मंगलवार रात को होगा। बुधवार को त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन जोगीपाली में एक दिन पहले सोमवार को रंग-गुलाल खेलेंगे। गांव की मुखिया बूंद राम का कहना है कि इस परंपरा को बुजुर्गों ने बनाया है। गांव की एकजुटता की वजह से ही खुशहाली है, इसलिए सभी मिलकर परंपरा को निभा रहे हैं। होलिका दहन के लिए गांव में पेड़ काटना भी मना है।

पठियापाली का आश्रित ग्राम है धमनागुड़ी। यहां भी होलिका दहन की परंपरा नहीं है। इस दिन लोग गांव में डंगाही देवी की पूजा करते हैं। गांव के उजित राम के मुताबिक लोग पेड़.पौधों को होलिका में काटकर डाल देते थे। इसी वजह से वनदेवी नाराज होतीं थी। गांव के बैगा ने बताया कि लकड़ी काटने से अपशगुन हो रहा है। तब से होलिका दहन नहीं होता। इस दिन ग्रामीण भजन-कीर्तन कर पूजा करते हैं। गांव के पास ही देवी चौरा है।

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