चढ़ावा के बाद होगा मुख्यमंत्री की घोषणा का क्रियान्वयन: उद्यमियों में असंतोष
कोरबा 3 फवरी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की एक घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए कोरबा सहित छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से चढ़ावा का इंतजार किया जा रहा है। उचित हाथों तक यह चढ़ावा पहुंचेगा उसके बाद ही मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करने के लिए आदेश जारी होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर जगदलपुर में उद्योग विभाग की ओर से विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित इकाइयों को सम्पत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) के भार से मुक्त करने की घोषणा की थी। इसी घोषणा को आधार बनाकर अब औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों से उगाही की जा रही है। कहा जा रहा है कि जब सभी उद्योगों की ओर से रायपुर में चढ़ावा पहुंचेगा तब उद्योगों को संपत्ति करके भार से मुक्ति मिलेगी। बताया जा रहा है कि ऐसी सभी इकाइयों से उन्हें आवंटित भूखंड के अनुसार प्रति वर्ग फुट 01 रुपये की दर से उगाही की जा रही है। बताया जाता है कि कोरबा के साथ-साथ पूरे प्रदेश में उगाही अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान को लेकर जहां उद्योगपतियों में सरगम चर्चा है वही उनमें व्यापक असंतोष भी है। हालांकि कोई भी व्यवसाई शासन के खिलाफ खुलकर सामने आने के लिए तैयार नहीं है।
भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार कोरबा के अलावे प्रदेश के सभी जिलों में जहां उद्योग विभाग की ओर से औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया है और जहां औद्योगिक इकाइयां संचालित हो रही हैं उन सभी जिलों में इस तरह का चढ़ावा इकट्ठा किया जा रहा है। सूत्रों ने दावा किया है कि नान घोटाला मामले में शामिल एक व्यक्ति का परिजन इस योजना का मुख्य सूत्रधार है। संपूर्ण छत्तीसगढ़ से एकत्रित चढ़ावा उनकी टेबल पर ही रखा जाएगा और उसके बाद उसे जहां जाना है वहां भेज दिया जाएगा। चुनावी वर्ष में छेड़े गए इस अभियान को लेकर उद्योगपतियों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि यह अभियान आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी ना पड़ जाए? याद रहे कि आमतौर पर चुनाव में उद्योगपति और व्यापारियों की भूमिका को लेकर माना जाता है कि एक-एक उद्योगपति और व्यापारी सौ-दो सौ मतदाताओं को आसानी के साथ प्रभावित कर लेता है। ऐसे में असंतुष्ट उद्योगपति- व्यवसायी कई विधानसभा क्षेत्रों में बड़े उलटफेर का कारण बन सकते हैं।
आपको बता दें की वर्तमान में उद्योग विभाग के औद्योगिक क्षेत्र में संचालित इकाइयों को प्रतिवर्ष आवंटित भूमि का भू-भाटक के अलावा नगरीय निकाय को संपत्तिकर का भी भुगतान करना पड़ता है। प्रदेश के उद्योगपति लम्बे समय से सम्पत्तिकर समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ उद्योग संघ ने इस सम्बंध में हाईकोर्ट बिलासपुर में एक रिट भी दायर कर रखा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनावी वर्ष में इसी मांग को पूरा करते हुए गणतंत्र दिवस पर उद्योग विभाग द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को संपत्ति कर के भार से मुक्त करने की घोषणा की थी। लेकिन इस घोषणा में भी नया ट्विस्ट आ गया है और इसको अमलीजामा पहनाने की राह में चढ़ावा अभियान असंतोष का कारण बनता नजर आ रहा है।