कांग्रेस द्वारा जनघोषणापत्र में जायज मांग पूरी नहीं की, विरोध करने जा रहे शिक्षकों को रोका

कोरबा 11 फरवरी। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के द्वारा जनघोषणापत्र में शिक्षक संवर्ग 3 से जुड़ी मांग को पूरा करने का काम सरकार ने साढ़े 4 साल बाद भी नहीं किया। इस मसले को लेकर सभी जिले और तहसील में समग्र शिक्षा फेडरेशन प्रदर्शन कर रहा है। कोई नतीजे नहीं आने पर उसने सीएम हाउस का घेराव करने की घोषणा की। इसके नतीजन कोरबा में बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर बलपूर्वक शिक्षकों को रोक लिया गया। यहीं पर जमकर नारेबाजी की गई और विरोध दर्ज कराया गया। कोरबा के तानसेन चौराहे पर समग्र शिक्षक फेडरेशन पिछले कुछ दिनों से अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है।

तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ सहित अनेक संगठनों ने उनकी मांग का समर्थन किया और हर हाल में साथ देने की बात कही। शिक्षक फेडरेशन की सिर्फ एक मांग है कि उनके मामले में जो वेतन विसंगति बनी हुई है उसे दूर किया जाए। फेडरेशन की ओर से कई मौकों पर सरकार को याद दिलाया जा चुका है कि वर्तमान मुख्यमंत्री ने विपक्ष में रहते हुए आश्वस्त किया था कि सरकार बनने पर उनकी मांग पूरी की जाएगी और लाभ सुनिश्चित किया जाएगा। यह काम आखिरकार नहीं हो सका। इसे लेकर शिक्षक फेडरेशन आक्रामक हो गया है। प्रदेश स्तर से निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत 11 फरवरी को रायपुर में सीएम हाऊस का घेराव किया जाना तय हुआ। सभी जिलों से शिक्षकों की भागीदारी इसमें हो रही है। ऊपर से मिले निर्देश पर सरकारी तंत्र हरकत में आ गया। सुबह से अधिकारियों की ड्यूटी बस स्टैंड और स्टेशन के अलावा विभिन्न मार्गो पर लगाई गई। जिन्होंने यहां पहुंचकर देखा कि इनमें से शिक्षक कौन है। मौके पर उन्हें रोकने का भरसक प्रयास किया गया। जो लोग पहचान में आये उन्हें उतार दिया गया। यहां पर शिक्षकों ने अपनी रखी पर अफसरों ने कहा कि उनकी मजबूरी है और अपना काम कर रहे हैं। मुख्यमार्ग पर एक जगह जांच के दौरान अधिकारयों ने शिक्षकों को रोक लिया और यहां से वापस किया। स्टेशन में तहसीलदार मुकेश देवांगन, टीआई रूपक शर्मा, एसआई ईश्वरी लहरे व अन्य पुलिस कर्मी मौजूद थे। अफसरों का तर्क नहीं आया समझ जांच पड़ताल के दौरान एक अधिकारी ने शिक्षकों को इस तरह की समझाईश दी कि उनकी मांग पर कार्रवाई करने के लिए सरकार ने जांच कमेटी बना दी है और उसकी रिपोर्ट पर काम हो रहा है। इसलिए वे लोग घेराव करने के लिए रायपुर न जाए।

अधिकारी के इस तर्क पर शिक्षकों ने हैरानी जतायी और उल्टे पूछा की अगर रिपोर्ट बनी है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। अधिकारी के पास इसका कोई जवाब नहीं था। सैकड़ों शिक्षक रायपुर जाने में सफल तमाम तरह के अड़चनों और निगरानी के बावजूद कोरबा जिले से ऐसे सैकड़ों शिक्षक रायपुर जाने में सफल हो गए जो वेतन विसंगति से जूझ रहे हैं। उन्होंने इसके लिए पहले ही योजना बना ली थी और इस पर अमल करते हुए अपने तरीके से रायपुर रवाना हो गए। इसकी किसी को भी भनक नहीं लगी। दावा किया जा रहा है कि पकड़ में वही लोग आए जो जानबूझकर गाडिय़ों में बैनर लगाए हुए थे।

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