कोरबा : डीएमएफ और अन्य मदों की डकैती के केंद्र में आदिवासी विकास विभाग.. माया के मायाजाल में करोड़ो छूमंतर

कोरबा। डीएमएफ सहित केंद्रीय मदों से प्राप्त राशि का बंदरबाट कर पिछले एक साल से चर्चित रहीं आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वॉरियर की कार्यशैली एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रवास के बीच संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय सहायता मद के तहत प्राप्त आबंटन में आश्रम छात्रावासों के लिए कम्प्यूटर टेबल चेयर क्रय करने से लेकर डीएमएफ के करोड़ों की लागत से फर्जी मधु मक्खी पालन प्रशिक्षण को लेकर चर्चाओं में हैं।

यहां बताना होगा कि आदिवासी विकास विभाग कोरबा पिछले एक साल से अपने क्रियाकलापों को लेकर सुर्खियों में हैं। विभाग द्वारा 27 सितम्बर 2022 को 5 विभागीय आश्रम छात्रावासों ,आश्रमों में लाईब्रेरी कक्ष निर्माण ,सी.सी पैसेज एवं रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित निविदा को अचानक निरस्त करने का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि गुरुवार को विभाग ने 92 लाख की एक और निविदा अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दी। आदिवासी विकास विभाग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1)केंद्रीय सहायता मद के अंतर्गत प्राप्त आबंटन में 20 सितंबर 2022 को विभागीय आश्रम छात्रावासों ,आश्रमों में लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत ठेकेदारों से 01.01.2015 से प्रभावशील दर पर निविदा आमंत्रित की थी। उक्त निविदा की कुल लागत 92 लाख था। रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित निविदा को एक बार फिर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया । इससे दो दिन पूर्व ही बुधवार को 5 आश्रम ,छात्रावासों के रेनोवेशन लाईब्रेरी कक्ष निर्माण ,सी सी पैसेज के कार्य को निरस्त कर दिया गया था। इस तरह केंद्रीय मदों से प्राप्त 5 करोड़ 95 लाख के आबंटन में से 1 करोड़ 43 लाख का टेंडर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया था।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर चहेते फर्मों को कार्य देने की कवायद की जा रही थी। ,जिसकी भनक लगते ही अन्य प्रतिस्पर्धी ठेकेदार कार्यालय आ धमके व आपत्ति जताई थी। मामला तूल न पकड़े इसलिए धड़ाधड़ निविदा निरस्त किए जा रहे थे। वहीं हाल ही में एक बार फिर विभाग उक्त मद में विभागीय आश्रम छात्रावासों के लिए कम्प्यूटर टेबल चेयर क्रय करने को लेकर सुर्खियों में है। वहीं डीएमएफ से तकरीबन 6 करोड़ रुपए की लागत से मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण भी चर्चा में है। सूत्रों की मानें तो यह प्रशिक्षण महज कागजों में दिया गया है जबकि जमीनी वास्तविकता यह है कि हितग्राही प्रशिक्षित ही नहीं हुए। करोड़ों की शासकीय धनराशि का बंदरबाट कर दिया गया।

इससे पूर्व सहायक आयुक्त माया वॉरियर के कार्यकाल में आश्रम छात्रावासों के लिए डीएमएफ से खेल सामाग्री ,इनवर्टर ,वाटर प्यूरीफॉयर ,फर्नीचर आदि सामाग्री को लेकर आदिवासी विकास विभाग सुर्खियों में रहा। विभाग के इन तमाम क्रियाकलापों की शिकायत विभागीय मंत्री से लेकर सीएम हाउस तक हुई है। लेकिन कार्रवाई नहीं होने से शासन पर सवाल उठते रहे हैं। अब सूबे के मुखिया स्वयं कोरबा जिला में भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जनता से सीधे संवाद स्थापित करने आ रहे। ऐसे में कोरबा में माया मैजिक कब खत्म होगा इससे जुड़े सवाल विपक्ष से लेकर मीडिया मुख्यमंत्री बघेल से जरूर पूछेगी।

28 करोड़ के 18 बालिका छात्रावास भवनों का निर्माण भगवान भरोसे

आदिवासी बालिकाओं के शिक्षा के लिए शासन सतत प्रयत्नशील है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने उनके आवासीय शिक्षा पर भी जोर दे रही है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रम छात्रावास इन्हीं व्यवस्थाओं में से एक हैं। जिसकी मंशा घर से परिजनों से दूर रहने के बाद भी बच्चों को हॉस्टल में घर की तरह भोजन ,चिकित्सा से लेकर हर संभव सुविधाएं मुहैय्या कराना है। इसकी संचालन का दायित्व आदिवासी विकास विभाग को दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में संविधान के अनुच्छेद 175 (1)केंद्रीय सहायता मद से प्रति भवन 1 .60 करोड़ की लागत से स्वीकृत 28 करोड़ के 18 छात्रावास भवन का निर्माण कार्य सबसे ज्यादा सुर्खियों में है।

जिले में मदनपुर ,कोरकोमा ,कुदमुरा ,भैसमा, धनगाँव , गोढ़ी ,कुदुरमाल ,पोंडी उपरोड़ा, सेन्हा, चोटिया, सिंधिया ,पसान , हरदीबाजार ,पाली ,करतला,रंजना एवं अरदा में भवन तैयार किए जा रहे। इनमें हरदी बाजार में दो छात्रावास भवन स्वीकृत हैं। लेकिन नियमित मॉनिटरिंग के अभाव में तकनीकी मापदण्डों एवं गुणवत्ता पर शुरू से प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं। रंजना का काम एक डेढ़ माह पहले ही शुरू हुआ है। वहाँ भी सोमवार को साईट इंजीनियर नजर नहीं आए। जबकि मंगलवार को मुख्यमंत्री का भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत रंजना के उसी निर्माणाधीन हॉस्टल भवन के नजदीक आगमन होगा।

दफ्तर में बैठे बैठे बन रहे हैं एस्टीमेट और मनमाने बिल

आदिवासी विकास विभाग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय सहायता मद के अंतर्गत प्राप्त आबंटन में स्वीकृत निर्माणाधीन छात्रावास भवन का दफ्तर में बैठकर ही एस्टीमेट व मनमाने तरीके से बिल बनाकर फर्म विशेष को लाभ पहुंचाया जा रहा है जिसका खमियाजा आगामी भविष्य में छात्रावास में रहने वाले बच्चों को भुगतना पड़ सकता है।

पिछले एक साल के समस्त कार्यों की हो जाँच

यदि राज्य सरकार व जिला प्रशासन आदिवासी विकास विभाग में पिछले एक साल में कराए गए समस्त निर्माण कार्यों की विशेष टीम गठित कर समस्त निविदा प्रकिया , क्रय प्रक्रिया ,देयक ,मूल्यांकन पत्रक की जांच कराए तो कई अनियमितताएं उजागर हो सकती है। क्योंकि पूर्व में आदिवासी विकास विभाग पर डीएमएफ सहित विभागीय मद के करोड़ों कार्यों में अनियमितता के आरोप लग चुके हैं।

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