समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नही, गर्भवती महिला ने तोड़ा दम


कोरबा 07 दिसंबर। जिले के डूमरडीह बासीन इलाके से वास्ता रखने वाली एक गर्भवती महिला की सिर्फ इसलिए मौत हो गई क्योंकि उसे सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। यहां-वहां मशक्कत करने के बाद जैसे.तैसे परिवार ने दूसरे वाहन की व्यवस्था कराई। इससे पहले महिला की स्थिति बिगड़ गई। प्रसव से पहले ही उसकी मौत हो गई। इस घटना ने परिजनों को नाराज कर दिया है।

विकासखंड कोरबा अंतर्गत अनुसूचित जनजाति बाहुल्य श्यांग क्षेत्र के डूमरडीह में रहने वाले बलिंदर सिंह की 37 वर्षीय पत्नी फूलवती यादव गर्भवती थी और उसका प्रसव नजदीक था। परिजनों के मुताबिक नजदीकी केंद्र में उसका उपचार कराया जा रहा था। एक दिन पहले महिला को दर्द उठने पर परिजन हरकत में आए। उसे अस्पताल ले जाने के लिए महतारी एक्सप्रेस 102 पर संपर्क किया गया लेकिन एक घंटे के प्रयास में भी सुविधा उपलब्ध नहीं हुई। इसके बाद परिजनों ने स्थानीय स्तर से वाहन की व्यवस्था कराई और महिला को उप स्वास्थ्य केंद्र बासीन भिजवाया। फूलवती के पति बलिंदर सिंह ने बताया कि कोई सुधार नहीं होने पर महिला को कोरबा भेजने की व्यवस्था की गई और मालूम चला कि गर्भस्थ शिशु का एक पैर बाहर आ गया है लेकिन महिला जीवित नहीं है। गांव में मितानीन का काम करने वाली विमला ने बताया कि पीडि़ता को अस्पताल ले जाने के दौरान वह साथ में थी और उस पर लगातार नजर बनाए रखी लेकिन उसकी मौत हो गई। उसने इस बात पर जोर दिया कि अगर उचित समय पर उनके पास एंबुलेंस पहुंच जाती और फौरी तौर पर गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया जाता तो न केवल सुरक्षित प्रसव होता बल्कि वह अभी भी जीवित होती। इससे पहले भी एंबुलेंस सेवा का लाभ जरूरतमंदों को समय पर नहीं मिलने के कारण इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी है जिनमें जिंदगी को समाप्त होते हुए देखा गया है। बार-बार की शिकायतों के बावजूद जिले में सरकार एंबुलेंस सेवा की समयबद्धता और लाभ की गारंटी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। हालांकि हर बार इस प्रकार के मामलों को लेकर एंबुलेंस सेवा के संचालन से जुड़ी एजेंसी अपने दावे और तर्क प्रस्तुत करने से पीछे नहीं हटती कि किस तरीके से कामकाज किया जा रहा है और जहां कहीं खामियां हो रही है उसे ठीक किया जाएगा। लेकिन इस तरह के तर्क से खोई हुई जिंदगी को आप वापस नहीं कर सकते।

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