कोसा उत्पादन के लिए रोपे जाएंगे 4.51 लाख अर्जुना के पौधे

कोरबा 6 जून। जिले में संचालित 48 तसर केंद्रों में रोजगार गांरटी से इस वर्ष 110 लाख हेक्टेयर में 4.51 लाख अर्जुना पौधों की रोपणी की जाएगी। जिला रेशम विभाग को 1ण्49 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। जुलाई माह से शुरू होने वाली प्रथम चक्र में 20 लाख अतिरिक्त नए पेड़ों से कोसा फल का उत्पादन होगा। इससे न केवल कोसा व्यवसाय सुदृढ़ होगा बल्कि बुनकरों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।   

वर्तमान में 48 तसर केंद्रों के 1256 हेक्टेयर भूमि में कोसा उत्पादन हो रहा है। वर्ष भर के भीतर होने वाली तीन फसल चक्र से इस बार 1.40 करोड़ कोसा फल उत्पादन का लक्ष्?य रखा गया है। पहली फसल चक्र समय जुलाई से सितंबर माह तक होता है। यह फसल उत्पादन का प्राथमिक चरण है। इस चक्र में 40 लाख फल उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। बारिश का समय होने से इस चक्र में कीट के जमीन पर गिरने की आशंका बनी रहती है। दूसरा फसल सितंबर से नवंबर माह तक होता है। इसे वर्ष भर का व्यवसायिक उत्पादन काल माना जाता है। इस माह के बीच वर्ष का सर्वाधिक फसल होता है। इसमें 80 लाख कोसा फल उत्पादन का लक्ष्?य रखा गया है। अंतिम फसल चक्र की शुरूआत 25 नवंबर से शुरू होगी। इसमें 25 लाख कोसा फल उत्पादन की संभावना है। करतलाए बरपालीए रामपुरए ढेलवाडीहए कोरबी आदि ऐसे तसर केंद्र हैंए जहां जिले का सर्वाधिक कोसा उत्पादन होता है। बीते वर्ष की कोसा फल उत्पादन का आकलन करें तो जुलाई में हुई बारिश के चलते रेशम कीट नष्ट हो गए। जिसका असर व्यवसाय में अब भी देखा जा सकता है। कोसा उत्पादन की आवश्यकता को देखते हुए जंगल से जुड़े तसर केंद्रों में पौधा रोपण को बढ़ावा दी जा रही है। वन क्षेत्र से घिरे होने के कारण जिले के तसर केंद्रों उन्नात प्रजाति के कोसाफल का उत्पादन होता है। जुलाई माह से उत्पादन शुरू करने के लिए तसर केंद्रों में रेशम कीट उत्पादन शुरू हो गई। जून के अंत तक कीट के अंडे से अतिरिक्त कीटों का निकलना शुरू हो जाएगा। इन्हे अर्जुना के पौधों में छोड़ा जाएगा। तीन माह के भीतर ये कोसाफल में परिवर्तित होंगे।   

रोजगार गारंटी के तहत कोसा फल उत्पादन के लिए रोपित पौधों को तीन साल तक संरक्षित रखने को प्रावधान है। पौधे जब तक व्यस्क न हो जाएं तब तक उसमें सिंचाई, उपचार के लिए रोजगार गारंटी से राशि जारी होगा। तसर केंद्र के अंतर्गत आने वाले लगभग 46 ग्राम पंचायत के आठ हजार से भी अधिक मजदूरों को संरक्षण से एवज में दी जाने वाली मजदूरी का लाभ मिलेगा। रोजगार गारंटी के तहत ये पौधे पांच साल के भीतर फल देने लगेंगे। कोसाफल के उत्पादन में होने वाली बढ़त का भी लाभ स्थानीय ग्रामीणों को मिलेगा।

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