राज्य सरकार के गलत नीतिगत फैसलों के चलते प्रदेश को हो रहा नुकसानः पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

कोरबा 9 दिसंबर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के गलत नीतिगत फैसलों के चलते प्रदेश को नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार आर्थिक रूप से दिवालिया हो चुकी है और उसका असर आम-आदमी के जीवन पर होने लगा है, जो पीड़ादायक है। राज्य सरकार सिर्फ नारे लगा रही है। विकास कुछ भी नहीं हो रहा है।

डॉ. रमन सिंह एक दिवसीय निजी प्रवास के दौरान बुधवार की देर शाम पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने 2022 तक सबको आवास का लक्ष्य निर्धारित किया है। छत्तीसगढ़ में 2020-21 में केन्द्र सरकार ने 07 लाख 81 हजार आवास स्वीकृत किया था। के न्द्रांश के रूप में प्रदेश को 5630 करोड़ रूपये भेज दिया गया था। राज्य सरकार को योजना 40 फीसदी अंश देना था, जो नही दिया गया। नतीजतन तीन बार नोटिस देने के बाद केन्द्र ने योजना को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार को 11 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान पहुंचता है। गरीबों को अशियाना खोना पड़ गया। केन्द्र सरकार ने राज्य को योजना से भी बाहर कर दिया है।

उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार को चरम पर बताते हुए कहा कि कमीशन के लालच में प्रदेश की 20 हजार महिला स्व.सहायता समूहों के हाथ से रेडी-टू ईट योजना को छीनकर एक व्यक्ति को देने का साजिश रची गयी है। स्व.सहायता समूहों को बच्चों के लिए 600 करोड़ दिया जाता है। राज्य सरकार ऐसा निर्णय ले रही है जिससे निजी आर्थिक लाभ मिले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोयला माफिया, रेत माफिया को खुला संरक्षण दिया जा रहा है। प्रति ट्रेक्टर 700 रूपये का रेत 2500-3000 रूपये में बिक रहा है। कोयला में प्रतिटन की दर से अकेला कोरबा जिले में 110-120 करोड़ रूपयों की वसूली प्रति माह हो रही है। यह पैसा कहा जा रहा है, सबको पता है।

डॉ. रमन सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश में आक्शन से कलेक्टर- एस पी पदस्थ हो रहे हैं। सचिवालय में इसकी खुली चर्चा होती है। ऐसे में अपराधों पर कौन अंकुश लगायेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरबा जिले में एक बड़ा स्कैण्डल होने वाला है। देवू पॉवर की जमीन पर मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री और एक तांत्रिक की नजर लगी हुई है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कवर्धा और रायपुर में सामुदायिक सौहार्द बिगड़ने के पीछे राज्य सरकार की तुष्टिकरण और संरक्षण देने की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया । उन्होंने कहा कि जिस कवर्धा में 15 वर्षों में कभी धारा 144 लगाने की जरूरत नहीं पड़ी, वहां 16 दिन कर्फ्य लगा। ये दोनों घटनाएं बताती है कि असमाजिक तत्वों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।

भाजपा नेता ने रिजर्व बैंक से ऋण लेने के मामले में कहा कि विकास और मूलभूत ढांचा विकसित करने के लिए ऋण लेना गलत नहीं होता। लेकिन राज्य सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है और तीन साल में 40 हजार करोड़ रूपयों का ऋण ले चुकी है। प्रति प्रश्न पर उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 15 वर्षों में केवल 36 हजार करोड़ रूपयों का लोन लिया था, जो प्रतिवर्ष 2500 करोड़ रूपये औसत है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण ही अब प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रूपयों का ब्याज देना पड़ रहा है।

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