महिलाओं ने मछली पालन को बनाया स्वावलंबन का जरिया

स्वसहायता समूह की महिलाओं ने मछली बेचकर एक सीजन में किया एक लाख रूपए का व्यवसाय

कोरबा 18 नवंबर। राज्य शासन द्वारा मछली पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। कृषि का दर्जा मिलने से मछली पालक शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर मछली पालन को अपनी आय का जरिया बना रहे हैं। कोरबा जिले की महिलाएं भी मछली पालन व्यवसाय से जुड़कर मछली पालन को स्वावलंबन का जरिया बना रहीं हैं। विकासखण्ड पाली के गांव कपोट की महिलाएं समूह में जुड़कर मछली पालन कर रही हैं। स्वसहायता समूह की महिलाएं एक सीजन में मछली बेचकर एक लाख रूपए से अधिक का व्यवसाय कर चुकी हैं। गरिमा स्वसहायता समूह की 12 महिलाएं मछली पालन से निश्चित आमदनी प्राप्त कर रही हैं। समूह की महिलाओं ने एक सीजन में मछली पालन से लगभग 700 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर एक लाख पांच हजार रूपए का मछली विक्रय किया है। मछली पालन के दौरान होने वाले खर्चों को काटकर लगभग 55 हजार रूपए की आमदनी महिलाओं को हुई है। मछली पालन से होने वाले आमदनी को सभी महिलाएं बराबर बांटकर आय प्राप्त कर रही हैं। मछली पालन करने से होने वाली आय से सभी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है। पहले काम के ज्यादा विकल्प न होने से महिलाओं के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। अब अपने गांव में ही मछली पालन के लिए तालाब उपलब्ध हो जाने से महिलाएं मछली पालन कर आर्थिक लाभ कमा रही हैं। महिलाओं को मछली पालन करने के लिए शासन द्वारा सहायता प्रदान किया गया है। शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर महिलाएं गांव में ही अच्छी आय का साधन विकसित कर रही हैं।

सहायक संचालक मछली पालन ने बताया कि गरिमा महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं गांव के शासकीय डुगुमुड़ा तालाब को 10 साल के लिए लीज पर लेकर मछली पालन का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं को जिला प्रशासन द्वारा मिश्रित मत्स्य बीज, ग्रासकॉर्प, कॉमनकॉर्प, मत्स्य बीज अंगुलिका तथा संतुलित परिपूरक आहार भी प्रदान किया गया है। मत्स्य विभाग द्वारा महिला समूह को तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया गया है जिससे समूह को आधुनिक तकनीक से मछली पालन करने में मदद मिली है। समूह को विभागीय मौसमी तालाबों में स्पान संवर्धन योजनांतर्गत वर्ष 2021-22 में 25 लाख मिश्रित स्पान प्रदान किया गया है। स्पान का संवर्धन कर समूह द्वारा 10 हजार रूपए का स्टे. फ्राई का विक्रय किया गया है। लगभग 20 हजार स्टे. फ्राई तालाब में संचित किया गया है जिसकी बिक्री से भी समूह को आय प्राप्त होगी। गरिमा महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती अमृता पावले ने बताया कि मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़ने से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। मत्स्य विभाग द्वारा जिला खनिज न्यास मद से मत्स्य बीज अंगुलिका, पूरक आहार आदि भी मछली पालन व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है। समूह की महिलाओं को होने वाली आमदनी सदस्य के बच्चों की अच्छी शिक्षा और परिवार के जीवन-यापन में सहायक हुआ है। मछली पालन कर आय कमाने से सभी महिलाएं संतुष्ट है और व्यवसाय को आगे बढ़ाने की योजना पर भी काम कर रही हैं।

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