कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी ( 07 NOV-21)
रवि भोई
भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के अलग-अलग सुर
छत्तीसगढ़ में पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव के सुर अलग-अलग सुनाई पड़ रहे हैं। भूपेश बघेल ने यूपीए राज के स्तर पर एक्साइज ड्यूटी लाने की मांग कर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डालने की रणनीति चली तो उनके ही मंत्री ने राज्य में पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजने की बात कह कर राजनीति को गरमा दी। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव विपरीत ध्रुव हैं। दोनों के बीच कुर्सी की लड़ाई चल रही है, ऐसे में मुख्यमंत्री के बयान के उलट वाणिज्यिक कर मंत्री के बयान को लोग सत्ता संघर्ष के रूप में देख रहे हैं। वाणिज्यिक कर मंत्री के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री को फैसला लेना है। अब देखते हैं मुख्यमंत्री अपने मंत्री का प्रस्ताव मानते हैं या लौटाते हैं। कहा जा रहा है भूपेश बघेल केंद्र सरकार को धर्म संकट में डालते-डालते क्या खुद ही धर्म संकट में फंस गए या राजनीति से ऊपर जनहित में फैसला करेंगे? टीएस सिंहदेव के बयान के बाद छत्तीसगढ़ में भी लोग पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की आस लगाए बैठे हैं।
प्रियंका गांधी और भूपेश बघेल की केमेस्ट्री
कांग्रेस की महासचिव और उत्तरप्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने साथ लेकर बनारस गईं, फिर गोरखपुर में भी अपने साथ रखा। कहते हैं गोरखपुर से वापसी के बाद भूपेश बघेल को प्रियंका गांधी अपने निवास ले गईं। दोनों के बीच काफी देर तक लंबी चर्चा हुई। प्रियंका उत्तरप्रदेश चुनाव में भूपेश बघेल को जिस तरह फ्रंट में ला रही है और उनके साथ मिलकर रणनीति बना रही है, उसे देखकर लोगों को लग रहा है कि दोनों की केमेस्ट्री अच्छी हो गई हैं। इस केमेस्ट्री की राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त चर्चा भी है।
कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति कौन होगा ?
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति कौन होगा ? लोगों के मन में बड़ी जिज्ञासा है। कहते हैं कुलपति चयन के लिए सर्च कमेटी की बैठक हो चुकी है। सर्च कमेटी ने कुछ नामों की सिफारिश की है, जिनमें से एक का चयन होना है। माना जा रहा है इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम की अनुशंसा में राज्यपाल से ज्यादा मुख्यमंत्री की पसंद मायने रखेगा। कहा जाता है कि कृषि विश्वविद्यालय का सालाना बजट छह सौ करोड़ के आसपास है और केंद्रीय संस्थानों से प्रोजेक्ट के नाम पर फंड भी काफी मिलता है, ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय का महत्व अन्य के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है। डॉ. एस के पाटिल का एक नवंबर को कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके ने विश्वविद्यालय के डायरेक्टर शिक्षण डॉ. एस एस सेंगर को प्रभारी कुलपति नियुक्त कर दिया है। चर्चा है कि डॉ. पाटिल तीसरी बार कुलपति बनना चाहते थे , लेकिन नियमों में प्रावधान न होने से उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी। सरकार ने भी नियमों में संशोधन करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
भुवनेश पर बढ़ा भरोसा
2006 बैच के आईएएस भुवनेश यादव को सरकार ने कुछ महीने पहले उच्च शिक्षा विभाग का स्वतंत्र प्रभार देने के साथ बीज विकास निगम का एमडी बनाया था साथ में तकनीकी शिक्षा विभाग का काम भी सौंपा था। रीता शांडिल्य को तकनीकी शिक्षा विभाग का सचिव बनाए जाने के बाद भुवनेश का एक विभाग कम हो गया,लेकिन सरकार ने कुछ ही दिन बाद भुवनेश यादव को मंडी बोर्ड का एमडी बना दिया। दो सरकारी उपक्रमों के एमडी के साथ एक विभाग की स्वतंत्र जिम्मेदारी से साफ़ है की भुवनेश यादव पर भूपेश सरकार का भरोसा बढ़ गया है।
तालमेल वाले अफसर
छत्तीसगढ़ में सत्ता के लिए भले भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव में खींचतान चल रही हो, पर एक आईएफएस अफसर ऐसे हैं जो दोनों के विभाग में पदस्थ हैं और तालमेल बिठाकर तीन साल से काम भी कर रहे हैं। दो ध्रुव के बीच संतुलन साधकर काम करने की कला की प्रशासनिक हल्कों में बड़ी चर्चा है। वैसे यह अधिकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ अभी जिस उपक्रम में काम कर रहे हैं, उसमें वे पिछली सरकार के समय से पदस्थ हैं।
मोहन मरकाम की हिम्मत
लोग कह रहे हैं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल को पार्टी से निलंबित कर बड़े साहस का काम किया है। कांग्रेस के भीतर और बाहर सबको पता है कि सन्नी अग्रवाल को प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया की सिफारिश पर ही कर्मकार कल्याण मंडल का अध्यक्ष बनाया गया है। पुनिया समर्थक होने के बाद भी कांग्रेस महासचिव अमरजीत चावला से झगडे के बाद सन्नी अग्रवाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने पर लोग मोहन मरकाम की हिम्मत की दाद दे रहे हैं ।
पुलिस की साख पर बट्टा
कहा जाता अनुभव का कोई मुकाबला नहीं होता, पर छत्तीसगढ़ के पुलिस महकमे में लगता है अनुभव का कोई मोल नहीं है, तभी तो धूप में बाल सफेद करने वाले पुलिस अफसर साइड लाइन में पड़े हैं। माना जा रहा है कि पुलिस महकमे में अनुभव का मान होता तो राज्य में पुलिस की किरकिरी न होती। बिलासपुर के बार में जूनियर अफसरों की हरकत से पुलिस की साख पर बट्टा लगा ही था, रही-सही कसर पूरी कर दी नारायणपुर के एसपी रहते आईपीएस उदयकिरण ने। गौरेला-पेंड्रा -मरवाही के एसपी त्रिलोक बंसल के जंगल में घायल होने की घटना से भी पुलिस की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एसपी त्रिलोक बंसल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर नई सियासत को जन्म दे दिया है।
कवर्धा मामले में केंद्र सरकार की नजर
कहते हैं कवर्धा में दो गुटों में विवाद के बाद छत्तीसगढ़ में पैदा हुई स्थिति को लेकर केंद्र सरकार ने राजभवन को अलर्ट किया। बताते है पूरे मसले पर केंद्र सरकार ने रिपोर्ट ली। कवर्धा घटनाक्रम को लेकर भाजपा नेताओं ने वहां जाकर धरना दिया और राजभवन जाकर अपना पक्ष रखा , कहते हैं भाजपा राज्य इकाई के कुछ बड़े नेता दिल्ली जाकर पार्टी के दिग्गजों और सरकार के अहम लोगों को भी जानकारी दी। इसके बाद केंद्र सरकार की सक्रियता बढ़ी। आंकलन है कि कवर्धा घटनाक्रम और धर्मान्तरण के मुद्दे से भाजपा में रक्त का संचार बढ़ गया है। धर्मान्तरण के मुद्दे पर आरएसएस भी उसके साथ आता दिख रहा है। कहा जा रहा है सरकार को घेरने के लिए दूसरे मुद्दों की तुलना में धर्मान्तरण और कवर्धा घटनाक्रम भाजपा के लिए जीवनदायनी जैसा रहा। कवर्धा घटनाक्रम में भाजपा ने सीधे-सीधे एडीजी विवेकानंद पर हमला बोला था, भूपेश सरकार ने उन्हें दुर्ग रेंज के प्रभारी की जगह अब नक्सल आपरेशन का काम सौंपकर पुलिस मुख्यालय में तैनात कर दिया है।विवेकानंद की जगह भाजपा शासन में अपर परिवहन आयुक्त रहे ओपी पाल को पदस्थ किया गया है। इससे भाजपा के लोगों को मूंछों पर ताव देने का मौका मिल गया।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)