महापौर राजकिशोर प्रसाद ने बच्चों को विटामिन-ए की दवा पिलाकर शिशु संरक्षण माह का किया शुभारंभ

  • 24 अगस्त से 28 सितंबर तक जिले के सभी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में चलेगा अभियान
  • जिले के एक लाख 20 हजार से अधिक बच्चों को विटामिन-ए सहित एक लाख 27 हजार से अधिक बच्चों को आयरन फोलिक एसिड का सीरप पिलाया जाएगा

कोरबा 24 अगस्त 2021. कोरबा नगर निगम के महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद ने बच्चों को विटामिन ए एवं आयरन फोलिक एसिड का सीरप पिलाकर शिशु संरक्षण माह का शुभारंभ किया। महापौर द्वारा कोरबा शहर स्थित रानी धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में शिशु संरक्षण माह का आगाज किया गया। श्री प्रसाद ने शिशु संरक्षण माह के दौरान आयोजित होने वाली सत्रों में दी जाने वाली सेवाओं का लाभ लेने नागरिकगणों से आग्रह किया। जिले में 24 अगस्त से 28 सितंबर 2021 तक शिशु संरक्षण माह का आयोजन सभी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को नियमित टीकाकरण सत्रों में गर्भवती माताओं एवं बच्चों को टीका लगाया जाएगा। इस अभियान के तहत नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की दवा तथा छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सीरप पिलाया जाएगा। बच्चों को आईएफए सीरप सप्ताह में दो बार पिलाने के लिए हितग्राहियों को सीरप उपलब्ध कराया जाएगा। शिशु संरक्षण माह के दौरान विकासखण्ड कोरबा में 305, करतला में 348, कटघोरा में 410, पाली में 210, पोड़ी-उपरोड़ा में 267 एवं शहरी क्षेत्र में 458 इस प्रकार कुल एक हजार 998 सत्र आयोजित किये जाएंगे। इन सत्रों के दौरान नौ माह से पांच वर्ष तक के कुल एक लाख 20 हजार 867 बच्चों को विटामिन ए सीरप एवं छह माह से पांच वर्ष तक के कुल एक लाख 27 हजार 977 बच्चों को आयरन फोलिक एसिड का सीरप पिलाया जाएगा। शिशु संरक्षण माह के शुभारंभ अवसर पर नगर निगम सभापति श्री श्याम सुंदर सोनी, मेयर इन काउंसिल के सदस्य सहित सीएमएचओ डॉ. बी. बी. बोडे एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी. बी. बोडे ने बताया कि बच्चों को विटामिन ए का नियमित खुराक प्रत्येक छह माह में एक बार देने से बच्चों में रतौंधी, श्वांस, संक्रमण, बुखार तथा कुपोषण की संभावना कम हो जाती है। आयरन फोलिक एसिड सीरप बच्चों में खून की कमी को दूर करने के लिए दिया जाता है। उन्होंने बताया कि शिशु संरक्षण माह के दौरान गर्भवती महिलाओं को ’’महतारी के दूध सबले अच्छा’’ की जानकारी देते हुए बच्चों को मां का ही दूध पिलाये जाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस अभियान के तहत बच्चों का वजन कराये जाने से लेकर बच्चों के आयु के अनुरूप पोषण-आहार के विषय में भी जानकारी दी जाती है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्रों में आहार की प्रदायगी सहित संक्रमण के उपचार के लिए भर्ती कराया जाता है।

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