लेमरू एलीफेंट रिजर्व एरिया बढ़ाकर 4000 किलोमीटर की जाए

कोरबा 24 जुलाई। छत्तीसगढ़ में लेमरू एलीफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट को लेकर कई तरह की बातें सामने आई हैं. एरिया घटाने से लेकर बढ़ाने के मामले में मुख्यमंत्री को विधायकों ने पत्र भी लिखा है. इसी बीच सामाजिक संगठन भी सामने आ रहे हैं. उनका कहना है कि सरगुजा संभाग घने वनों से आच्छादित है. जहां सभी प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं. सरगुजा संभाग घने वनों के साथ आदिवासी बाहुल्य संभाग है. इसी से जुड़ा क्षेत्र रायगढ़, कोरबा और पेंड्रा-मरवाही के चारों तरफ ऐसा जंगल है, जिसे भारत में बायोडायवर्सिटी के आधार पर दूसरे नंबर पर माना जाता है. ऐसे में लेमरू एलिफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट में कमी करने के कारण कारपोरेटस सेक्टर को पहाड़ों को दोहन करने का मौका मिल जाएगा. सामाजिक संगठनों ने कहा कि लेमरू का एरिया बढ़ाकर 4000 किलोमीटर की जाए.

इस दौरान सामाजिक संगठन के लोगों ने कहा कि रायगढ़, कोरबा और पेंड्रा-मरवाही के चारों तरफ विशेष पिछड़ी जनजाति के साथ ही साथ बहुतायत में आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोग निवास करते हैं. लगातार कोयला, बॉक्साइड और अन्य गौण खनिजों के अनियंत्रित दोहन से जंगल-पहाड़ और नदियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. जल स्रोत गायब होते जा रहे हैं विलुप्त होते जा रहे हैं.

जंगली जानवरों को जंगल में भोजन की कमी के कारण जंगली जानवर शहर और गांव में यहां तक की आबादी वाले क्षेत्रों में भी आ जा रहे हैं, जिसके कारण जनजीवन को जान माल का भी जोखिम उठाना पड़ रहा है. जान भी गंवानी पड़ रही है, लेकिन कारपोरेटस को लगातार कोयला बॉक्साइड और अन्य खनिजों के दोहन के नाम पर यह भूल जा रहे हैं कि जल स्रोत , घने जंगल और पहाड़ नष्ट होकर बर्बाद हो रहे हैं. पर्यावरण की अपूरणीय क्षति हो रही है, विकास के नाम पर विनाश की गाथा सरगुजा संभाग में लिखी जा रही हैं, जो हर हाल में जन समुदाय के और आने वाली पीढ़ी के जीवन के लिए नुकसान दायक है. पर्यावरण के लिए विनाशकारी है.

ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों के द्वारा जनहित और पर्यावरण के हित में समर्थन ना करते हुए जानकारी मिली है कि आसपास क्षेत्रों के 7 से 8 विधायकों ने लिखित में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है. लेमरू रिजर्व एलीफेंट प्रोजेक्ट के क्षेत्रफल को कम कर दिया जाए. पत्र को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि किसी रणनीति के तहत यह पत्र लिखा गया है, जो जनहित में और,जल, जंगल, जमीन, पर्यावरण के हित में नहीं होने के कारण घोर आपत्तिजनक और स्वार्थ हित में है.

जनहित में नहीं लगभग 4000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल को 1950 और फिर 450 वर्ग किलोमीटर करने कि दूषित मनोवृति से पर्यावरण का विनाश सुनिश्चित है, क्योंकि वहीं दूसरी तरफ अदानी को और भी कोल ब्लॉक देने की राजनीतिक षड्यंत्र नजर आती है. तब निश्चित ही बड़े पैमाने पर, भूमि अधिग्रहण किया जाएगा, घनघोर जंगल काट दिये जायेंगे, गाँव मे रहने वालों को गांव छोड़कर जाना पड़ेगा, पर्यावरण नष्ट होगा.

इफ्को पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित भूमि लगभग 12 वर्ष हो चुके हैं. इसके बाद भी कोई प्रोजेक्ट चालू नहीं हो पाया और ग्रामीण जन की भूमि अधिग्रहित कर उन्हें मुआवजा भी दे दिया गया. इन परिस्थितियों में जब प्रोजेक्ट चालू नहीं है. 5 साल से अधिक हो चुके हैं तो ग्रामीण जन को उनकी भूमि भी वापस की जानी चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने बस्तर में टाटा की भूमि वापस कर गरीबों के हित में सराहनीय कार्य किया था. उसी आधार पर इफको पावर प्रोजेक्ट की भूमि ग्रामीणों को वापस किया जाना संवेदनशील सरकार की जनहित अहम निर्णय साबित होगा.

सरगुजा संभाग विशेषकर कोरबा एवं सरगुजा जिले की जंगलों को अत्यधिक क्षति होगी. इसी के साथ जशपुर बलरामपुर पेंड्रा मरवाही और मैनपाट की पहाड़ियों जो कि बड़ी बड़ी नदियों का उद्गम स्थल है. नष्ट होकर जल प्रवाह पर असर डालेंगे, जिससे बड़े-बड़े बांधों में जल स्तर कम होगा. उनकी सिंचाई की क्षमता के साथ ही साथ अच्छे मानसून लगभग1400 मिलीमीटर वर्षा होती है, विपरीत परिस्थितियों के कारण बिजली उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित होगी, जिसके कारण जन जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और पर्यावरण नष्ट होकर प्रदूषण के आगोश में सरगुजा संभाग चला जाएगा.

सरगुजा संभाग को बचाने के लिए जन अधिकार परिषद छत्तीसगढ़ ने जन जागरण अभियान को तेज किया है. प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही साथ पहाड़ी कोरवा, पंडों बैगा अन्य विशेष पिछड़ी जनजातियों के साथ मानव संसाधन को संरक्षित करने कृत संकल्प है. हम सभी समाज सेवी संगठन , जागरूक नागरिकों के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ के हित में प्राकृतिक संसाधन बचाओ अभियान’ को और तेजी से जन जागरूकता के साथ जन आन्दोलन कर शासन और प्रशासन के समक्ष जनहित के पक्ष को सामने रखेंगे.

प्रभावी पेसा कानून के प्रावधानों को लागू कर प्रभावित अनुसूचित क्षेत्रों सरगुजा संभाग, बिलासपुर संभाग के साथ छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों को बचाएंगे. विकास के नाम पर विनाश का खेल नहीं. मुख्यमंत्री से जन हित में कार्रवाई की अपेक्षा के साथ अनुरोध किया गया.

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