घपले- घोटालों के आरोपी देवेन्द्र पाण्डेय के खिलाफ एक और धोखाधड़ी की पुलिस जांच प्रारम्भ हुई

कोरबा 23 जुलाई। घपले- घोटालों के आरोपी और सृष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर कोरबा के तत्कालीन अध्यक्ष देवेन्द्र पाण्डेय के खिलाफ धोखाधड़ी के एक नए मामले की पुलिस जांच शुरू हुई है। सिटी कोतवाली की रामपुर चौकी पुलिस प्रकरण की तफ्तीश कर रही है।

मिली जानकारी के अनुसार सन्दीप कंवर ने की शिकायत पर यह जांच शुरू हुई है। संदीप कंवर ने आरोप लगाया है कि सृष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर कोरबा की सदस्यता ग्रहण करने के लिए 20 लाख रुपये देवेन्द्र पाण्डेय को दिए थे। वर्षों बाद भी देवेन्द्र पांडेय ने उन्हें सृष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर कोरबा, जो फर्म्स एवं संस्थाएं में रजिस्टर्ड है, की सदस्यता प्रदान नहीं की है।

संदीप कंवर ने बताया कि वे अनेकों बार देवेन्द्र पाण्डेय से सदस्यता देने की मांग कर चुके, लेकिन उन्हें संस्था की सदस्यता नहीं दी गई। थक हार कर उन्होंने सदस्यता नहीं देने की स्थिति में अपनी रकम वापस करने की मांग की, परन्तु देवेन्द्र पाण्डेय रकम भी वापस नहीं कर रहे हैं। अंततः उन्होंने मजबूर होकर मामले की शिकायत पुलिस में की है। पुलिस ने प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।

उल्लेखनीय है कि देवेन्द्र पाण्डेय कोरबा जिले के सोहागपुर धन घोटाला मामले में भी घपला के आरोपी हैं। इस प्रकरण में पुलिस के मुताबिक हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर हैं। इसके अलावे देवेन्द्र पाण्डेय पर बिलासपुर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष पद पर रहते हुए एक सौ करोड़ रुपयों से भी अधिक के घोटालों का आरोप है।

इसके अलावे, जहां कोरबा शहर में शासकीय प्रयोजनों व विकास कार्यों के लिए जमीन नहीं मिल पा रही वहीं सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस एंड रिसर्च सेंटर के पूर्व अध्यक्ष, कथित भाजपा नेता देवेंद्र पाण्डेय ने सेवा के नाम पर कौड़ी के दाम में लीज में मिली 25 एकड़ नजूल भूमि के अलावा अपने निजी स्वार्थ के लिए बेशकीमती 13 एकड़ शासकीय नजूल भूमि पर बाउंड्रीवाल व फेंसिंग कर कब्जा कर रखा है। शिकायत के आधार पर रविवार 18 जुलाई 2021 को सीमांकन के लिए पहुंची राजस्व विभाग की टीम की जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ है। सीमांकन के दौरान जांच दल से ही कुछ पल के लिए सृष्टि इंस्टीट्यूट के संचालक देवेंद्र पांडे उलझ गए थे। बाद में झल्लाकर वो पंचनामा तैयार करने से पहले ही चले गए।

यहाँ उल्लेखनीय है कि सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस एंड रिसर्च सेंटर के नाम पर करीब डेढ़ दशक पूर्व शहर से लगे खरमोरा एवं रिस्दी के खसरा नम्बर 296 एवं 309 में 25 एकड़ नजूल भूमि 30 साल के लिए लीज निष्पादन शर्तों के तहत प्रदान की गई है। सेवा के नाम पर मिले इस कुल नजूल भूमि में 17 एकड़ रिस्दी की भूमि तो 8 एकड़ भूमि खरमोरा की शामिल है। हाल ही में कोरबा निवासी अकबर सिंह नामक व्यक्ति द्वारा कलेक्टर के समक्ष लिखित शिकायत की गई थी कि सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस एंड रिसर्च सेंटर के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पाण्डेय द्वारा शासकीय भूमि पर कब्जा कर लीज रेंट की निर्धारित राशि 25 करोड़ रुपए जमा नहीं की जा रही है। कलेक्टर न्यायालय ने न्यायालय तहसीलदार कोरबा को उक्त भूमि का सीमांकन करने का आदेश दिया था। तहसीलदार कोरबा सुरेश साहू ने इसके लिए नायब तहसीलदार एम एस राठिया के नेतृत्व में तत्काल 6 सदस्यीय टीम गठित किया, जिसमें शेष सदस्यों के रूप में राजस्व निरीक्षक खेलन प्रसाद सूर्यवंशी, चक्रधर सिंह सिदार, पटवारी बजरंग पुलस्त, अनिरुद्ध राठौर, लेविन पटेल शामिल थे। नायब तहसीलदार एम एस राठिया के नेतृत्व में जांच दल रविवार को सीमांकन के लिए पहुंचा, जहां सृष्टि इंस्टीट्यूट के देवेंद्र पाण्डेय और जिला पंचायत सदस्य संदीप कंवर भी मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार जैसे ही सीमांकन में शासकीय नजूल भूमि का एक बड़ा भू -भाग कब्जे के रूप में आता हुआ नजर आया, देवेंद्र पाण्डेय सीमांकन दल से ही उलझ गए। बाद में शासकीय कार्य में बाधा डालने के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाई सम्बन्धी नियमों का उन्हें भान हुआ तो शांत हो गए। उन्होंने जांच दल को दलील दिया कि कैंपस को जंगली जानवरों से सुरक्षित करने उन्होंने फेंसिंग किया था। लेकिन पाण्डेय की चालाकी तब धरी की धरी रह गई जब जांच दल ने सीमांकन पूरा होते होते पाया कि करीब 13 एकड़ शासकीय भूमि पर कब्जा किया गया है। जिसका एक छोर फेंसिंग से तो शेष तीनों छोर को बाउंड्रीवाल कर कब्जा किया गया है। यह पता चलते ही देवेंद्र पाण्डेय पंचनामा तैयार करने से पहले ही झल्लाकर चले गए, जिसकी वजह से अब जांच दल उनकी उपस्थिति में विधिवत पंचनामा तैयार कर जांच प्रतिवेदन आवश्यक कार्यवाई हेतु तहसीलदार को सौंपेगा।

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