लेमरू हाथी रिजर्व: अदानी को लाभ दे रही भूपेश सरकार, सी बी आई जांच हो- अमित

बिलासपुर 12 जुलाई। जंगली हाथियों के व्यवस्थापन के लिए स्वीकृत जमीन को चार गुना कम कर देने को लेकर राज्य सरकार पर अडानी की कंपनी को बेक डोर से लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के अध्यक्ष अमित जोगी ने भूपेश बघेल सरकार पर कई गंभीर इल्जाम लगाते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ के लेमरू एलीफेंट रिजर्व को तीन दिनो के भीतर राज्य सरकार द्वारा साढ़े चार सौ वर्ग किलोमीटर करने के पारित आदेश को लेकर रविवार को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने भूपेश सरकार के फैसले पर गंभीर आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि तीन दिनों के भीतर राज्य सरकार ने एक औद्योगिक घराने अदानी को बड़ा लाभ पहुंचाने के लिए जंगल को एक चौथाई बढ़ा दिया। इसमें तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह आदेश 8 विधायको के कहने पर किया गया है। जबकि 8 में से 5 विधायकों को इससे कोई लेना देना नहीं है। इसमें सबसे वरिष्ठ विधायक पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव सहमति से इंकार भी कर रहें है और ना ही उन्होंने इस तरह का कोई प्रस्ताव पेश किया हैं।

इस पर अमित जोगी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक झूठ के आधार पर सरकार ने 30 जून को अडानी कम्पनी को 6 कोयला खदानों को MDO (माइन डिवेलपमेंट ऑपरेटर) का लाइसेंस जारी कर दिया। जबकि इसके एवज में मालिक नहीं बल्कि MOD होने के नाते वो सरकार एक पैसा भी रॉयल्टी नहीं दे रहें है और सरकार ने कोयला समेत खनिज संपदा का खनन कर रही है। इस MOD प्रथा को हम न्यायलय में चुनौती देंगे। इस पर स्वयं राहुल गांधी ने कुदमुरा और मदनपुर की जनचौपाल में लेमरू में कोयला खदान नहीं खोलने का भरोसा दिलाया था।

गौरतलब है कि जेसीसीजे प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने पर बड़ा बयाना दिया है। उन्होंने कहा कि, अगर हमारी जाति आदिवासी नहीं है तो आखिर क्या ? हम क्या मंगल ग्रह से आएं है। इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने मेरे पिताजी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया था, उसे कोर्ट ने बहाल किया और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेरा व पत्नि ऋचा का रिजेक्ट कर रहें है। हमें हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा। न्याय और कोर्ट पर हमें पूरा भरोसा है।

सरकारी आवास में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अमित जोगी ने लेमरू एलिफेंट पार्क को लेकर और क्या क्या बातें कही उनकी प्रेस ब्रीफिंग के नोट से स्पष्ट हो जाएगा। पढ़े प्रेस नोट —

जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने बिलासपुर मरवाही सदन में पत्रकारों से वार्ता की और कई तथ्यों को पत्रकारों के सामने रखा। अमित जोगी ने कहा कि- साथियों, आप लोगों ने विगत कुछ दिनों से चल रहे सत्तासीनों के वाद विवाद पे अगर गौर फरमाया होगा तो एक नाम आपने जरूर सुना होगा- “लेमरू हांथी रिज़र्व” (LER) क्या है ये पूरा विवाद और क्यों?

– कोरबा से सरगुजा तक फैले जंगलों में 180 गाँवो की लगभग 3827.64 वर्ग किलोमिटर क्षेत्र में ये लगभग 400 हांथीयो के लिए ये बनाया जाना था।

– किन्तु 26/6/2021 को शासकीय छुट्टी (fourth saturday) के दिन अपर सचिव श्री के पी राजपूत जी प्रधान मुख्य वन संरक्षक को 1 आदेश जारी करतेहैं, आदेश क्रमांक एफ 8-6/2007/10-2 dated 26/6/21 की….

“मा. मुख्यमंत्री जी के निर्देश के अनुरूप रिजर्व को मंत्रिपरिषद के पूर्व निर्णय 27.08.19 के 1995.48 वर्ग कि. मि से कम करके 450 वर्ग कि मि की जाने हेतु 3 दिन में प्रस्ताव भेजें।”

– मतलब 80% रिज़र्व क्षेत्र कम ।

– मतलब जहां 4000 वर्ग कि मि में 400 हाथियों को बसाने की तैयारी थी वो अचानक मुख्यमंत्री जी के निर्देश पे 450 वर्ग कि मि क्षेत्र में 400 हांथीयो को रखने की योजना में तब्दील कर दी गई।

– सरकार द्वारा कहा गया कि जनता की भावना और 8 विधायकों की मांग थी जबकि जनता की तरफ से “हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति” इसका विरोध कर रहे हैं और 8 में से 5 विधायक का क्षेत्र लेमरु में आता ही नहीं है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण विधायक और मंत्री या कहें की CM इन वेटिंग ने भी इसका विरोध किया है और ऐसी किसी भी मांग से इनकार किया है।

-अब सवाल ये उठता है कि जब मंत्रियों की बैठक में 27/8/19 लेमरू हांथी रिजर्व के क्षेत्र पर निर्णय हो गया और 94 करोड़ रुपए उसे बनाने में लगा दिए गए तो अचानक छुट्टी के दिन तड़ फड़ में 26/6/21 को मुख्यमन्त्री के निर्देश का पालन करने 3 दिन में इस पर कार्यवाही करने क्यों आदेशित किया गया? मतलब 29 जून के पूर्व क्यों ?

-तो अब इस क्यों का पूरा खुलासा और इसके पीछे के भारी भ्रष्टाचार की कहानी कुछ ऐसी है…

कहानी शुरू होती है श्री भूपेश बघेल और श्री राजेश अडानी के 14.06.19 को बंद कमरे में चली छत्तीसगढ़ को अडानीगढ़ बनाने किआ 2 घंटे की मीटिंग में, जिसमे कई गुप्त सौदों की रूपरेखा तैयार की गई जो थी ABCD deal मतलब “Adani Bhupesh Coal diesel Deal”..

वैसे तो रमन सिंह और भूपेश बघेल दोनों ने अड़ानी को उपकृत किया है। लेकिन दोनों में तीन महत्वपूर्ण अंतर है।

★ पहला, जहाँ रमन सिंह ने अपने 15 सालों के राज में अड़ानी को दो सरकारी उपक्रमों गुजरात सरकार की गुजरात पॉवर जेनरेशन कम्पनी (GPGCL) के माध्यम से गारे पालमा-1 और महाराष्ट्र सरकार की महाराष्ट्र पॉवर जेनरेशन कम्पनी (MAHAGENCO) के माध्यम से गारे पालमा-2 कोयला खदानें के MDO चलाने की अनुमति दी थी , वहीं भूपेश बघेल जी ने पिछले ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के तीन उपक्रमों

– NCL के माध्यम से डिपॉजिट क्रमांक 13 के लौह-अयस्क (12.02.2019),

– BALCO के माध्यम से चोटिया कोयला खदान और

– CGSPGCL के माध्यम से लेमरु हाथी अभरण्य में गिधमुरी, पिटूरिया, साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा, जनार्दनपुर और तारा कोयला खदानों (30.6.21) के, बड़े गोपनीय तरीक़े से, 10 खदानों के MDO की अनुमति अनुमति अड़ानी को दे चुकी है।

– ये 30/6/2021 की तारीख और लेमरू की ज़मीन को कम करने के आदेश और उसमें 3 दिन का समय देने का उल्लेख ये बताता है कि लेमरू हांथी रिज़र्व क्षेत्र में कमी का आदेश अडानी को जमीन देने के लिए किया गया था, ये निर्णय जन भावना ने प्रेरित नही धन भावना से प्रेरित है।

– इसके अतिरिक्त 2011 में UPA सरकार ने तत्कालीन राज्य सरकार के फ़ॉरेस्ट अड्वाइज़री कमेटी (FAC) की रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए राजस्थान विद्युत उत्पादन कम्पनी (RVUCL) को परसा ईस्ट और कांता बसान की कोयला खदानें आबंटित कर उनको भी अड़ानी को ठेके में देने का फ़ैसला लिया था।

★ दूसरा, रमन सिंह ने कभी अड़ानी को खदानें चलाने की अनुमति नहीं दी थी बल्कि अन्य राज्य सरकारों (राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र) के माध्यम से उसे अनुमति दी थी। किंतु भूपेश बघेल ने BALCO, NCL और CGSPGCL- इन तीनों कम्पनियों में छत्तीसगढ़ सरकार का स्वामित्व है- के माध्यम से अड़ानी को खदानें चलाने की अनुमति प्रदान की है।

– इस प्रकार से जहाँ रमन सिंह ने अड़ानी को 15 सालों में मात्र 2 कोयला खदानें चलाने की अनुमति दी थी, वहीं पिछले ढाई सालों में भूपेश बघेल ने उसे 12 लौह-अयस्क और कोयला खदानें खोलने की आनन-फ़ानन अनुमति दे डाली है।

★ तीसरा, इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जहाँ रमन सिंह ने कम से कम PESA क़ानून के अंतर्गत ‘फ़र्ज़ी’ जन सुनवाई कराने की औपचारिकता तो निभाई थी, वहीं भूपेश बघेल ने तानाशाही रवैया अपनाकर यहाँ PESA क़ानून को शिथिल करके कोल बेरिंग ऐक्ट लागू करके वहाँ बसे लाखों लोगों को जन सुनवाई का मौक़ा ही नहीं दिया और गोपनीय तरीक़े से सारी खदानें अड़ानी के MDO को दे दीं

– संविधानिक तौर पर यह सरासर ग़लत है: PESA क़ानून हर परिस्थिति में कोल बेरिंग ऐक्ट से सर्वोपरि है, इसलिए भूपेश सरकार को उसे अड़ानी को खदानें देने के उद्देश से स्थगित करने का निर्णय पूरी तरह से असंवैधानिक है। इसको मैं न्यायालय में चुनौती दूँगा।

– स्वयं भूपेश बघेल अपने 27 मार्च 2018 को ट्विटर के अपने ट्वीट के माध्यम से मानते हैं कि अडानी ने ‘बैक-डोर’ का रास्ता इख़्तियार किया था। सरल शब्दों में कहें तो अडानी ने किसी भी खदान के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित बोली नहीं डाली बल्कि सरकारी कम्पनियों- जैसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान सरकारों के सार्वजनिक उपक्रमो- से बैक-डोर समझौता करके फ़्री में कोयला और लोहा की खदानों का संचालन करने का MDO (माइन डिवेलप्मेंट ऑपरेटर) का लाइसेन्स प्राप्त कर लिया। इस MDO प्रथा को भी हम न्यायालय में चुनौती देंगे।

– स्वयं राहुल गांधी जी ने क़ुदमुरा और मदनपुर की जन चौपाल में लेमरु में कोयला खदान नहीं खोलने का वचन दिया था।

– इस व्यवस्था के अंतर्गत अडानी हर वर्ष छत्तीसगढ़ से 5 बिल्यन डॉलर (₹3.5 लाख करोड़) का कोयला और लोहा निकाल रहा है जबकि इसकी एवज़ में मालिक नहीं बल्कि MDO होने के नाते वो सरकार को १ पैसे भी रॉयल्टी नहीं दे रहा है। आज अकेले अदानी- भूपेश सरकार द्वारा उसको लगातार अंधाधुन दिए जा रहे ‘कन्सेंट टू इस्टैब्लिश’ प्रमाणपत्रों के दम पर- छत्तीसगढ़ से हर साल 1.70 करोड़ टन कोयला और लोहा निकालने की स्थिति में है जिसका मार्केट मूल बिल्यन डॉलर (₹3.5 लाख करोड़) डॉलर है- जो कि छत्तीसगढ़ शासन के वार्षिक बजट से 300 गुणा अधिक है। अमित जोगी ने माँग करी कि MDO प्रणाली में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा दिए गए सभी खनिज ठेकों को तत्काल निरस्त करते हुए उसका सीधा संचालन CMDC अथवा कोई भी सार्वजनिक उपक्रम के द्वारा किया जाए ताकि प्रदेश की खनिज सम्पदा का मालिकाना अधिकार छत्तीसगढ़ियों के हाथों में ही रहे।

फिर बात आती है महंगाई की, इस ABCD डील का तीसरा हिस्सा..

“C Form”

– अडानी द्वारा C फॉर्म से 2% की टैक्स दर पर हाई स्पीड डीजल खरीदा जा रहा है।जिससे राज्य सरकार को हज़ारों करोड़ के टैक्स राजस्व की चपत लग रही है।

-CST एक्ट की कंडिका 8 (3) में वर्णित है किन गतिविधियों में C फॉर्म से खरीदे गए हाई स्पीड डीजल का उपयोग हो सकता है । लेकिन

– अडानी द्वारा माइनिंग के नाम पर C फॉर्म से हाई स्पीड डीजल खरीदा जा रहा है, लेकिन उस हाई स्पीड डीजल का गैर क़ानूनी उपयोग हो रहा है।

– अडानी द्वारा C फॉर्म के तहत खरीदे गए डीजल को ट्रांसपोर्टरों को बेचा जा रहा है।

– अडानी द्वारा वो डीजल अन्य उद्योगों को भी बेचा जा रहा है। जब कि उस डीज़ल का उपयोग उद्योग माइनिंग या पावर जनरेशन में किया जाना था।

– अडानी द्वारा महीने का औसतन 25,000 किलो लीटर हाई स्पीड डीजल खरीदा जा रहा है जबकि उसका खुद का उपयोग मुश्किल से 10,000 किलो लीटर भी नहीं है। वर्तमान में लगभग 55 रूपए प्रति लीटर की दर से इसे खरीदा जा रहा है। यदि 2% टैक्स की जगह बाज़ार दर 25% टैक्स पर खरीदता तो अडानी को 67.5 रूपए प्रति लीटर की लागत पड़ती। मतलब प्रति लीटर 12.5 रूपए टैक्स का नुकसान राज्य सरकार को हो रहा है।

– उक्त आकड़ों के अनुसार अडानी द्वारा प्रति माह 31 करोड़ 25 लाख रूपए का नुकसान राज्य सरकार को किया जा रहा है। याने सालाना 375 करोड़ का नुकसान।

– अडानी छत्तीसगढ़ में धंधा कर छत्तीसगढ़वासियों से उनका हक़ छीन रहा है। इस टैक्स के पैसे से जनता का अनेकों विकास कार्य हो सकते थे।

– भूपेश सरकार बताये आखिर क्यों अडानी पर इतनी दिलेरी दिखा रही है सरकार। इस डील में सरकार के मंत्रियों को अडानी द्वारा कितना हिस्सा दिया जा रहा है?

मैं वचन देता हूँ कि हमारी सरकार बनते ही इस अडानी को बाहर करके जुर्माना के तौर पर सभी छत्तीसगढ़ियों के खाते में ₹1,00,000 एकमुश्त जमा कराने का आदेश दूँगा।

– इस पूरे घोटाले की ED और CBI से जाँच होनी अति-आवश्यक है। इसके लिए हम न्यायालय की शरण में जाएँगे।

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