शिक्षिका भुवनेश्वरी बनीं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की प्रदेश सचिव

कोरबा 10 जून। अपने ज्ञान और कला-कौशल ने समाज को उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करने सतत प्रयास कर रहीं भुवनेश्वरी राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना में अहम पद का दायित्व सौंपा गया है। उन्हें संगठन में प्रदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। अपने कार्यों और जनसेवा के साथ शिक्षा में उत्कृष्ट कार्यों का निर्वहन कर उन्होंने यह पद्वी हासिल की है।

दीपका निवासी भुवनेश्वरी जायसवाल पिछले अनेक वर्षों से सुशिक्षित समाज की परिकल्पना को साकार करने प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का यही दायित्व होता है कि वह केवल अपने विद्यार्थी को ही नहींए बल्कि उससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करे। तभी एक पूरी पीढ़ी को सुशिक्षा की राह पर ले जाया जा सकता है। शिक्षा अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान से नहीं, बल्कि अपने परिवार व समाज से मिले संस्कारों, संस्कृतियों और सामाजिक सरोकार से संबंधित प्रत्येक विषय को समझकर जीवन में धारण करने से है। तभी हम अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने आज से मजबूत नींव तैयार करने सफल हो सकेंगे। उनके इन्हीं कार्यों और विकासशील विचारों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के प्रदेश सचिव नियुक्त की गई हैं। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा, महासचिव प्रभु चौधरी व प्रदेश अध्यक्ष पूर्णिमा कौशिक ने खुशी जाहिर करते हुए भुवनेश्वरी जायसवाल को संस्था के हित में उत्कृष्ट कार्य करने प्रोत्साहित किया है।

इस संस्था का शुभारंभ 25 फरवरी 2002 को भारतीय ज्ञानपीठ महाविद्यालय उज्जैन में किया गया था। संस्था का मुख्य उद्देश्य समाज के आधार शिक्षकों को अग्रिम पंक्ति में चरितार्थ करना, शिक्षा एवं साहित्यिक समृद्धि हेतु हिंदी को विश्व भाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में सतत प्रयत्न एवं रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से जीवन मूल्यों को परिपुष्ट करना है।

सामाजिक सरोकारों को लेकर प्रतिबद्ध संस्था की ओर से प्रतिवर्ष अनेक संगोष्ठियां और समारोह के आयोजन किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों के जरिए अधिक से अधिक लोगों को साथ लाने का प्रयत्न किया जा रहा है। यह संस्था शिक्षा, कला, साहित्य, संगीत, योग व समाज सेवा आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली नारी शक्ति को सशक्तता से उभारने के लिए सदैव तत्पर है।

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