नहीं करा सकते रिफलिंग, लौटना होगा पुराने युग में

बलौदा। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में महिलाओं को मुफ्त में रसोई गैस कनेक्शन तो दिया गया लेकिन सिलेण्डर के दाम में बेतहाशा वृद्घि से गांव की महिलाएं लकड़ी के चूल्हे में खाना बनाने मजबूर हैं। इससे उन्हें पि?र से धुएं का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त में रसोई गैस कनेक्शन सिलेंडर व चूल्हा तीन साल पहले दिया गया था। योजना का उद्देश्य पर्यावरण को बचाना , व महिलाओं को खाना बनाते समय लकड़ी व कंडे के धुएं से निजात दिलाना था। उज्जावला योजना के तहत महिलाएं रसोई गैस कनेक्शन तो ले लिए । लेकिन गैस सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी से लकड़ी के चूल्हे फूंकने मजबूर हैं। जो लोग रोज कमाते खाते हैं। गैस का दाम बढऩे से सिलेंडर की रिफिल इनकी पहुंच से दूर हो गई। इतनी कमाई नहीं की गैस सिलेण्डर से खाना बना सके। मजबुरन पहले जैसा लकड़ी के चूल्हे में खाना बनाना पड़ रहा है। ग्रामीण अंचल में आज भी कमोबेश हर किसी को रसोई गैस के फायदे पता नहीं, लकड़ी से खाना बनाना मुश्किल होने के साथ ही सेहत के लिए नुकसानदेह भी है।लेकिन एलपीजी के दाम बढऩे के कारण इन महिलाओं को मजबुरीवश लकड़ी से खाना बनाना पड़ रहा है।

८० फीसदी हितग्राही नहीं करा रहे रिफिलिंग-बालाजी इण्डेन गैस एजेंसी बलौदा में उज्जवला योजना के १८ हजार कनेक्शन है। जिसमें हर महीने लगभग ३ हजार उज्जावला कनेक्शन धारी ही गैस रिफिलिंग कराते है। एलपीजी गैस का दाम बढऩे से लगभग १५ हजार उज्जावला गैस कनेक्शनधारी रिफिलिंग नहीं करा रहे हैं।


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