शासन के नियम-निर्देशों से ऊपर है-राशन माफिया?

कोरबा 17 अप्रैल। नगरीय क्षेत्र में वर्षों से अंगद के पांव की तरह जमे राशन माफिया राज्य शासन के नियमों निर्देशों से ऊपर प्रतीत होता है। तभी तो खाद्य विभाग के अधिकारी आंखे मूंदे बैठे रहते हैं और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी नियमों को दर किनार कर माफिया को लाभ पहुंचाने में जुटे रहते हैं।

उचित मूल्य की दुकानों के लिए शासन का स्पष्ट आदेश है कि गत माह की बचत स्टाक के बाद वितरण के लिए जितनी मात्रा में खाद्यान्न कम हो उतना ही, आबंटित किया जाये। लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी इस नियम का आये दिन उल्लंघन करते हैं। ताजा उदाहरण जय अम्बे महिला प्रा.सह.उ.भ. द्वारा संचालित खरमोरा वार्ड की दुकान का है। मार्च-2021 के लिए ऑन लाईन घोषणा पत्र का अवलोकन करने पर पता चलता है, कि खरमोरा दुकान में पहली अप्रेल को 480.93 क्विंटल चावल का शेष स्टाक है। इसके बाद भी इस दुकान के नाम पर 167.200 क्विंटल चावल का आबंटन किया गया। जबकि इस दुकान में प्रतिमाह औसत खपत 450 क्विंटल की है।


इससे एक माह पूर्व मार्च माह में खरमोरा दुकान में चावल का प्रारंभिक स्टाक 370.20 क्विंटल था। इसके बावजूद औसत खपत में कहीं अधिक 563.38 क्विंटल चावल का आबंटन कर दिया गया। माह भर में कुल 452.67 क्विंटल चावल का वितरण किया गया और पहली अप्रेल कोइस दुकान में 480.93 क्विंटल चावल का प्रारंभिक स्टाक शेष था। अप्रेल माह में इस दुकान को चावल आबंटन का आवश्यकता नहीं थी, लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम ने 167.200 क्विंटल चावल का आबंटन किया।

आपको बता दें कि यह आबंटन राताखार दुकान में स्टाक नहीं होते हुए भी चावल वितरण करने के मामले का खुलासा होने के बाद किया गया। दरअसल इस घोटाले का 12 अप्रेल को पर्दाफाश किया गया था। अगले दिन 13 अप्रेल को नागरिक आपूर्ति निगम ने राताखार राशन दुकान को 52.800 क्विंटल और खरमोरा दुकान को 167.200 क्विंटल चावल आबंटित कर दिया। दोनों दुकानों का चावल एक ही ट्रक में लोड कर खरमोरा भेजा गया, जहां पूरा चावल खाली कराया गया। इस कवायद का असली मकसद राताखार दुकान की गड़बड़ी पर गलती से ऑनलाईन प्रविष्टि नहीं होना बताकर पर्दा डालना प्रतीत होता है।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार नगरीय क्षेत्र में राशन माफिया का अच्छा खासा दबदबा है। कारण यह बताया जाता है कि खाद्य विभाग के दफ्तर से लेकर नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम तक उसकी ऊंगलियों के इशारे पर सभी वांछित कार्य हो जाते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि राशन माफिया जहां बेखौफ होकर प्रतिमाह लाखों रूपयों का पीडीएस घोटाला कर रहा है, वहीं दूसरी ओर खाद्य विभाग का अमला भी बड़ी दिलेरी के साथ इन घोटालों पर पर्दाडाल रहा है। खाद्य विभाग के अधिकारी नियम-निर्देशों के खिलाफ जाकर लाभ लेने और लाभ देने के इस खेल पर रोक क्यों नहीं लगा रहे? यह बड़ा सवाल है और आमतौर पर इसका जो जवाब सामान्य लोगों को समझ में आता है, वह यही है, कि काजल कोठरी में खाद्य विभाग का हाथ भी कालिख से रंगा हुआ होगा। कहना न होगा कि राशन दुकानदारों का पर्याप्त मात्रा में प्रारंभिक स्टाक शेष होने के बाद भी अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन करने का मकसद खाद्यान्न की काला बाजारी ही होगा। वर्ना ऐसा कोई कारण नहीं है कि शासन के नियम-निर्देेश की अवहेलना कर दुकानकार विशेष को अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन किया जाये।

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