किसान सभा व किसान आंदोलन जुटी भारत बंद की तैयारी में

19 मार्च को किसान पंचायत का आयोजन

कोरबा 12 मार्च। किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित किसान पंचायत का आयोजन कोरबा में भी किया जाएगा। इस दौरान 26 मार्च भारत बंद को सफल बनाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। साथ ही आगामी कार्यक्रम भी तय किए जाएंगे।

छत्तीसगढ़ किसान सभा और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने संयुक्त रूप से प्रदेश में भी पंचायतों का आयोजन किया है। 19 मार्च को जिले के बांकीमोंगरा क्षेत्र में एक किसान पंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला प्रमुख रूप से उपस्थित रह संबोधित करेंगे। इसके साथ ही अन्य प्रगतिशील किसान संगठनों से भी चर्चा की जा रही है। किसान सभा जिला समिति की बैठक में किसान पंचायत को सफल बनाने पर चर्चा हुई। किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने बताया कि पंचायत में 26 मार्च को आहूत भारत बंद को सफल बनाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि कानून खेती-किसानी और किसानों के लिए डेथ वारंट है, इसलिए देश के किसान इन कानूनों की वापसी चाहते हैं और सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून चाहते हैं। सरकार किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य तक देने के लिए तैयार नहीं है। किसान नेताओं ने कहा कि देश के किसानों को अपनी फसल को कहीं भी बेचने देने की स्वतंत्रता देने के नाम पर वास्तव में कारपोरेट कंपनियों की गुलामी की जंजीरों में बांधा जा रहा है। इन कृषि कानूनों का दुष्परिणाम यह होने वाला है कि उनकी जमीन कारपोरेट कंपनियों के हाथों चली जायेगी और फसल निजी मंडियों में कैद हो जाएगी। इसी फसल को गरीब जनता को मनमाने भाव पर बेचकर मुनाफा कमाएंगे, क्योंकि अनाज की सरकारी खरीदी न होने से राशन प्रणाली भी खत्म हो जाएगी।

किसान नेता झा ने कहा कि इस किसान पंचायत में वनाधिकार और भू-विस्थापन और खनन से जुड़े मुद्दों और उद्योगों के नाम पर ली गई जमीनों को मूल खातेदार किसानों को वापस करने पर भी चर्चा की जाएगी। मजदूरों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं से जुड़े संगठन भी पंचायत में हिस्सा लेंगे और किसानों की मांगों के प्रति अपने समर्थन और एक जुटता का इजहार करेंगे। उन्होंने बताया कि किसानों का यह आंदोलन अनिश्चितकालीन है और कृषि विरोधी कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा। किसान पंचायत की सफलता के लिए गांव गांव में जत्था निकाल कर घर घर पर्चा बांटा जाएगा।

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